21वी सदी के भारत में आजादी के बाद से अब तक बहुत कुछ बदल चुका हैं। देश की सरकारें पानी-बिजली और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं जन-जन तक पहुंचाने का भले ही दम भरती हो लेकिन हकीकत तो कुछ और हैं। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे एक ऐसे गाँव की, जहाँ स्कूल तो हैं बच्चे भी हैं। लेकिन उन बच्चों को पढ़ाने वाला कोई टीचर नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं झारखंड के नक्सल एरिया गुडाबांधा के बीहड़ में बसे एक गाँव की।

नक्सल प्रभावित इस गाँव में बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल तो हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए किसी अध्यापक की नियुक्ति नहीं की गई हैं। या फिर ऐसा भी कहा जा सकता हैं कि, इस स्कूल में पढ़ाने के लिए कोई टीचर इस क्षेत्र में आना नहीं चाहता। चाहे जो भी हो हर मुसीबत से परे इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी संभाली हैं एक पुलिस अधिकारी ने। इन पुलिस अधिकारी का नाम हैं प्रमोद पासवान।

प्रमोद पासवान अपनी ड्यूटी करते हुए इन बच्चों को क्लास में जाकर पढ़ाते हैं। प्रमोद बच्चों को गणित पढ़ने के लिए कुछ विशेष फॉर्मूले बताते हैं जिनकी मदद से बच्चे फॉर्मूलों को याद आसानी से कर पाते हैं और सवालों को हल करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। प्रमोद पासवान गुडाबांधा थाना में तैनात हैं। वो अपने काम से समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाने जरूर आते हैं। पढ़ाने के लिए वो कही दूर जाने में भी संकोच नहीं करते हैं।

प्रमोद साल 1990 में गुडाबांधा के एएसआई पद पर तैनात हुए। नौकरी लगने से पहले वो स्कूल में बच्चों को पढ़ाया करते थे। स्कूल के बच्चे प्रमोद से पढ़कर खुश हैं। बच्चे पुलिस वाले अंकल से पढ़कर बेहद खुश नजर आते हैं।

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