सरकारी स्कूलों का नवीनीकरण या राजधानी के स्कूलों में प्रदान की जाने वाली एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार के लिए नए तरीकों को लाने में दिल्ली सरकार अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। समाज के सभी क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास दिल्ली सरकार की ओर से किए जा रहे हैं।

हाल ही में, केंद्र सरकार ने सीखने के स्तर में सुधार के लिए मिशन बुनियाद को शुरू किया है।

क्या है मिशन बुनियाद-

एक बहुत ही लोकप्रिय निशा समूह 'मिशन बुनियाद' योजना का हिस्सा है और इसमें ऐसे छात्र शामिल हैं जो क्लासों में किसी भी किताब को ढ़ंग से नहीं पढ़ पाते हैं या लिख पाते हैं। शिक्षा निदेशालय ने बीते 2 अगस्त को एक परिपत्र में अधिसूचना जारी कर कहा कि छात्र अलग-अलग परीक्षाएं करने जा रहे हैं और उन्हें एक अलग सिलेबस के जरिए तैयार करना होगा। सितंबर 2018 तक परीक्षा में कवर किए जाने वाले विषयों की संख्या में काफी कमी आई है।

हालांकि पहल कई लोगों के लिए उपयोगी लगती है, फिर भी, कुछ शिक्षक हैं जो सुनिश्चित नहीं हैं वो इस पहल के सफल होने के पीछे कई कमियां बता रहे हैं। कुछ टीचरों का कहना है कि हमने उन्हें पहले से ही अलग-अलग समूहों में विभाजित कर दिया था जिससे उन्हें कागजात के विभिन्न सेट मानसिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

निशा समूह कहां से आया?

सरकार ने 2016 में 'चुनौती 2018' लॉन्च किया था जब सरकार के मुताबिक क्लास 6 में 74 प्रतिशत छात्र क्लास 2 की पाठ्यपुस्तक भी नहीं पढ़ सके थे।

इस योजना ने बच्चों को दो समूहों में विभाजित किया गया है-

प्रतिभा- इस ग्रुप में उन लोगों को शामिल किया गया जो अपने ग्रेड के अनुसार पढ़ और लिख सकते थे।

निष्ठा- इस ग्रुप में ऐसे छात्र थे जो अपने ग्रेड के अनुसार पढ़ और लिख नहीं सकते थे।

छात्रों के लिए मूल्यांकन खासतौर पर निशा ग्रुप की तरफ से बनाए जाएंगे और अपनी क्लास की किताब को पढ़ने और लिखने, समझने में काफी मदद करेंगे।

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