इंजीनियरिंग कॉलेजों के बिगड़ते हालातों और घटते छात्रों के एडमिशन को देखते हुए सरकार हर महीने कुछ ना कुछ नए कदम लेने के बारे में विचार कर रही है। अब एक खबर सामने आई है जिसके अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजबिलिटी एंट्रेस टेस्ट जैसा कि नीट होता है वो कराने पर विचार किया जा रहा है।

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के उपाध्यक्ष एमपी पूनिया ने चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में कहा कि नीट जैसी परीक्षा इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए करवाने पर विचार किया जा रहा है। आपको बता दें कि इससे कुछ समय पहले भी ऐसे प्रस्ताव रखे गए और काफी विरोध भी किया जा चुका है।

2017 में, एआईसीटीई एनईईटी की लाइनों के आधार पर इंजीनियरिंग छात्रों के लिए एक कॉमन टेस्ट करवाने पर विचार कर रहा है, हालांकि, चूंकि उन्हें कई राज्यों से विरोध का सामना करना पड़ा, इसलिए एचआरडी मंत्रालय ने इस विचार को एक बार के लिए वापस ले लिया।

यदि इंजीनियरिंग के लिए एनईईटी जैसी परीक्षा लागू की जाती है, तो अन्य सभी इंजीनियरिंग परीक्षाएं कम हो जाएंगी। हालांकि, कई राज्य सरकारें विशेष रूप से एनईईटी परीक्षाओं के आसपास के विवादों के कारण ऐसी परीक्षाओं से अब डरने लगे हैं।

तमिलनाडु राज्य अभी भी मेडिकल के लिए नीट की की परीक्षा के खिलाफ ही चल रहा है ऐसे में एक और परीक्षा का प्रस्ताव ला पाना काफी मुश्किल दिखाई देता है।

इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए वर्तमान में क्या आधार है?

भारत में इंजीनियरिंग के लिए 3,300 से अधिक अनुमोदित कॉलेज हैं जो विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं, जिनमें लगभग 1.6 मिलियन छात्रों का सालाना आना-जाना होता है। लेकिन, केवल आधे सीटें ही भर पाती है। वर्तमान में, केंद्र, राज्यों और निजी संस्थानों द्वारा हर साल इंजीनियरिंग के लिए कई परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।

कई राज्य अपने स्वयं की भी अलग परीक्षा लेते हैं जबकि कुछ कॉलेजों में 12वीं के अंकों के आधार पर ही एडमिशन दे दिया जाता है।

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