दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के लिए देश में साक्षरता दिवस मनाया जाता है। साल 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने लोगों में शिक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों का ध्यान शिक्षा की तरफ खींचने के लिए पहली बार यह दिवस मनाया था। जिसके बाद हर साल 8 सितंबर को दुनियाभर में ये दिन मनाया जाता है। आज पुरे 52वां 'अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस' मनाया जा रहा है।

मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर लोगो को जागरूक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता है की सफलता और जीने के लिए साक्षरता बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है।

चलिए जानते है इस दिन से जुडी कुछ रोचक बातें

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का निर्णय यूनेस्को द्वारा वर्ष 965 में 7 नवंबर को किया गया था। जिसके बार पहली बार 1966 में 8 सितंबर को यह दिवस मनाया गया था।

यूनेस्को द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार दुनिया की 84 प्रतिशत आबादी साक्षर है। आज तक दुनिया भर में 250 मिलियन बच्चे है जो अच्छी तरह से पढ़ या लिख नहीं सकते हैं।

दुनिया के 775 मिलियन अशिक्षित वयस्कों के लगभग तीन-चौथाई लोग भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, मिस्र, ब्राजील, इंडोनेशिया और कांगो का लोकतांत्रिक गणराज्य में पाए जाते हैं।

यूनेस्को की 'ग्लोबल मॉनीटरिंग रिपोर्ट ऑन एजुकेशन फॉर ऑल कंट्रीज' रिपोर्ट बुर्किना फासो (12.8 प्रतिशत), नाइजर (14.4 प्रतिशत) और माली (1 9 प्रतिशत) की सबसे कम साक्षरता दर है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2015 का विषय साक्षरता और सतत समाज है। संयुक्त राष्ट्र विश्लेषण के अनुसार, पांच वयस्कों में से एक अशिक्षित है; 75 मिलियन बच्चे स्कूल में नहीं जाते हैं और कई अनियमित रूप से उपस्थित होते हैं या ड्रॉप आउट होते हैं।

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