ट्रेन में आप सभी ने सफर किया होगा। इसके साथ आपने देखा होगा कि ट्रेन में ट्रेन चलाने वाला लोको पायलट होता है जिसका काम बेहद ही कठिन होता है। आज हम आपको उसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं कि इन्हे कितना घंटे काम करना पड़ता है और इसके लिए इन्हे क्या सैलरी मिलती है।

सर्दी हो, या गर्मी बरसात या किसी भी प्रकार का कोई त्यौहार लोको पायलट को हमेशा अपनी ड्यूटी करनी पड़ती हैं उनकी एक छोटी सी गलती से भी हजारों लोगों की जान जा सकती है इसलिए इन्हे बेहद ही अटेंटिव हो कर काम करना पड़ता है।

एक ट्रेन ड्राइवर का कार्य कितने घंटों का होता है ?
एक लोको पायलट को कई घंटों तक काम करना होता है। इनका वेतन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से भी अधिक होता है। 24 घंटे कार्य करने वाले इन लोगों की डेली रूटीन निश्चित नहीं होती है। इन लोगों को 14 दिनों का रोस्टर दिया जाता है, जिनमें से केवल 2 ही रेस्ट दिए जाते हैं। इन्हे लगभग 104 घंटे काम करना होता है।

एक लोको पायलट एक बार घर से निकलने के बाद फिर पर 3-4 दिनों बाद ही वापस अपने घर जा पाता है,। एंट्री लेवल पर आने के बाद लोको पायलेट का पोस्ट असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) होता है। यह 7th कमिशन के लेवल 2 पर आते हैं। इन्हे 100 किमी के ट्रेन रनिंग पर अलाउंस मिलता है। अपनी ड्यूटी के 14 दिनों में 104 घंटों से अधिक का ओवरटाइम करने का भी इन्हे पैसा दिया जाता है।

लोको पायलट की सैलरी
एक लोको पायलट को नाइट ड्यूटी अलाउंस, हॉलीडे अलाउंस, ड्रेस और लीव अलाउंस भी मिलते हैं। इनकी सैलरी भी काफी अधिक होती है। जब ये ALP प्रमोट होकर सीनियर लोको पायलट बन जाते हैं तो कई बार इनकी सैलरी एक लाख रुपए से भी अधिक तक की हो जाती है।

Related News