इंजीनियरिंग कॉलेजों में सुनसान, इस राज्य में 50000 सीटें रह गई खाली
देश के छात्रों के बीच इंजीनियरिंग को लेकर क्रेज काफी कम हो गया है इस बात में कोई भी दो राय नहीं है। देश के अलग-अलग राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन गिर रहे हैं और रूझान हर साल कम होता दिखाई दे रहा है। अब हाल ही में महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों से आंकड़े सामने आए हैं जिसके बाद हर कोई हैरानी में हैं। इस साल राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 50,000 सीटें खाली रह गई हैं जिन पर किसी भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया है।
पिछले 5 सालों में सबसे अधिक सीटें खाली हैं-
इस साल 1.30 लाख सीटों में से केवल 85,501 उम्मीदवारों ने ही एडमिशन के लिए आगे की प्रक्रिया में आवेदन किया है जो कि माना जा रहा है कि पिछले 5 सालों में से सबसे कम है। एडमिशन के अंतिम दौर तक 79,599 सीटें ही आवंटित की गई थीं। इसी तरह, पिछले साल भी, 41% या कुल सीटों में से 56,000 सीटों पर किसी भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया था।
कॉलेजों की तरफ से खाली सीटों को भरने के लिए कई तरह के उपाय किए गए थे लेकिन उसके बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। इस साल, इंजीनियरिंग कॉलेजों में कोई भी नई सीट को नहीं जोड़ा गया है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों की ऐसी हालत क्यों हैं?
कॉलेजों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है लेकिन छात्रों की कमी का सबसे बड़ा कारण जो देखा जा रहा है वो यह है कि इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें पर्याप्त नौकरियां नहीं मिल पाती है। यदि बाजार में कोई नौकरियां नहीं हैं, तो छात्र इंजीनियरिंग करने के लिए क्यों आएंगे।?