इंटरनेट डेस्क। "कानून" यानि कि लॉ हमारे संविधान का मूल हिस्सा है। लॉ में करियर बनाने के लिए लॉ एजुकेशन ही भारत में एकमात्र रास्ता है। जिसके पास लॉ के क्षेत्र में कोई डिग्री है वो इस क्षेत्र में "वकील" से लेकर कई पदों पर काम कर सकता है। इसके अलावा हमारे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और विभिन्न अकादमिक संस्थानों में लॉ एजुकेशन के लिए कई तरह के कोर्स करवाए जाते हैं।

1987 में एडवोकेट एक्ट, 1961 के तहत दिए गए तीन साल के डिग्री कार्यक्रम के रूप में भारत में लॉ एजुकेशन के लिए बीसीआई (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) कानून शिक्षा का मुख्य नियामक निकाय है।

साल 1985 में, "भारत के कानून आयोग" ने भारत में लॉ पेशे के अकादमिक मानक को बढ़ाने के लिए लॉ एजुकेशन यूनिवर्सिटी स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके बाद बैंगलोर में भारत की पहली लॉ यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी जिसे "नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी" के नाम से जाना जाता है जिसे आमतौर पर "एनएलएस" कहा जाता है। यह वह समय था जब भारत में पहली बार एलएलबी की डिग्री शुरू हुई थी। आइए आज जानते हैं कि 12वीं के बाद अगर आप लॉ में जाना चाहते हैं तो कौनसे कोर्स कर सकते हैं।

लॉ में 12वीं के बाद किए जाने वाले कोर्स-

12वीं के बाद लॉ को करियर के उन्मुख विकल्पों में से एक माना जा सकता है भारत में, छात्र किसी भी विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद भी लॉ में कोई डिग्री ले सकते हैं।

बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) - 3 साल

एलएलबी लॉ एजुकेशन में दी जाने वाली सबसे आम डिग्री है। एलएलबी कोर्स 3 साल का होता है।

एकीकृत ग्रेजुएशन कोर्स – बीए एलएलबी, बीएससी एलएलबी, बीबीए एलएलबी, बीकॉम एलएलबी - 5 साल

जो 12वीं के बाद एकीकृत रूप से लॉ में कोई कोर्स करना चाहता है वो 5 साल के इन एकीकृत कोर्स में एडमिशन ले सकता है।

मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) - 1 / 2 साल

एलएलएम एक या दो साल के समय के लिए किया जाने वाला मास्टर डिग्री कोर्स है। यह साल 2012 से पहले भारत में शुरू किया गया है।

बिजनेस लॉ के मास्टर-

एमबीएल लॉ एजुकेशन में मास्टर डिग्री है जिसमें बिजनेस लॉ में विशेषज्ञता दी जाती है जो कि 1 या 2 साल का होता है।

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी)-

लॉ एजुकेशन में कोई डिग्री कोर्स करने के बाद पीएचडी के लिए भी एक अच्छी संभावना है। अधिकांश प्रतिष्ठित स्वायत्त संस्थान पीएचडी कोर्स करवाते हैं।

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