CBSE और ICSE बोर्ड में क्या है फर्क, किसमें एडमिशन करवाना बच्चों के लिए है बेहतर
जब स्कूल में बच्चों को आगे की पढाई के लिए एडमिशन करवाने की बात होती है तो पेरेंट्स काफी सोच विचार में पड़ जाते हैं। इसका एक कारण ये है कि नेशनल लेवल पर हमारे देश में 2 महत्वूर्ण बोर्ड्स हैं जिनमे सीबीएससी (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) और आईसीएसई (इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन) शामिल है। इनके अलावा अलग अलग स्टेट में अपने खुद के स्टेट बोर्ड्स भी शामिल हैं।
हमारे एजुकेशन सिस्टम में मुख्य रूप से तीन खंड हैं जिनमें प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर है। इनमें से प्रत्येक स्तर पर करियर बनाने के लिए अलग अलग भूमिकाएं होती है। आज हम आपको इन दोनों बोर्ड्स की भूमिकाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जान कर आप ये फैसला ले सकते हैं कि बच्चों का एडमिशन किस बोर्ड में करवाना सही है।
सीबीएसई बोर्डयदि आपके पेरेंट्स में से किसी की ऐसी जॉब है जिसमे बार बार ट्रांसफर होता रहता है तो यह बोर्ड आपके लिए सबसे पसंदीदा होना चाहिए क्योकिं सीबीएससी स्कूल आपको भारत के हर एक सिटी में मिल जाएंगे। सीबीएसई बोर्ड के माध्यम से आप इंग्लिश, हिंदी दोनों मीडियम में पढ़ सकते हैं।सीबीएसई बोर्ड रेगुलर और पर्सनल सिलेबस देता है इसके अलावा दोनों प्रकार के कैंडिडेट्स के लिए एग्जाम कंडक्ट करवाता है। सीबीएसई बोर्ड साइंस और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स पर ज्यादा जोर देता है।सीबीएसई बोर्ड पूरी तरह से इंडियन गवर्मेंट से संबद्ध है और देश के सभी सेन्ट्रल स्कूल्स के लिए बनाया गया है।सीबीएसई बोर्ड का एक फायदा ये भी है कि सिलेबस को पढ़ने के बाद जेईई मेन, नीट जैसी एग्जाम्स के लिए भी काफी मेहनत करनी होती है।
आईसीएसई बोर्ड-आईसीएसई बोर्ड की सबसे खास बात ही उसका सिलेबस है। केवल पढाई ही नहीं बल्कि इसमें व्यावहारिक ज्ञान पर भी जोर दिया जाता है। इस से स्टूडेंट्स में विश्लेषणात्मक कौशल भी बढ़ता है। आईसीएसई बोर्ड में केवल इंग्लिश मीडियम का ही उपयोग किया जाता है। आईसीएसई बोर्ड छात्र के इंटरनल असेसमेंट पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा यह स्टूडेंट्स के मानसिक विकास पर भी ध्यान देता है।आईसीएसई का सिलेबस और टीचिंग कॉर्पोरेट दुनिया के लिए एकदम सही है। अच्छे नेतृत्व के गुणों के साथ मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के लिए आगे जाते हैं।