महाराष्ट्र सरकार आखिर एक बार ही बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने की हिम्मत क्यों जुटा पाई थी, जानिए
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। बात करें बाल केशव ठाकरे की तो उन्होंने महाराष्ट्र राज्य में सक्रिय दक्षिणपंथी और हिंदुत्ववादी पार्टी शिवसेना की स्थापना की और आज उनके बेटे उद्धव ठाकरे ही महाराष्ट्र के सीएम बनने वाले हैं।
बाल ठाकरे ने जब शिवसेना की स्थापना की थी तब मानों सब कुछ बदल गया हो। आरएसएस की तरह ही शिव सेना ने हर गली-मोहल्ले में अपनी शाखाएं खोलनी शुरू कर दी। बंबई में जबरदस्त तरीके से हिंदू त्यौहार मनाए जाने लगे। देखते ही देखते शिव सेना की एक फौज खड़ी हो गई।
बाल ठाकरे पूरे महाराष्ट्र के लोगों के दिल में एक खास जगह रखते थे। मराठी लोगों को अब बाल ठाकरे में अपना तारणहार दिखने लगा था। साल 1967 में अखबार नवकाल के जरिए कहा था कि अब भारत में हिटलर की जरूरत है।
इस मामले में भी इंदिरा को पीछे छोड़ नंबर 1 पर कायम है PM मोदी
शिवसेना ने डिमांड रखी की सरकारी नौकरी में मराठियों को 80 फीसदी आरक्षण मिले। यहां तक राज्य सरकार के हाउसिंग बोर्ड के घरों में भी इन्हें 80 फीसदी आरक्षण दिया जाए। 1969 में जब शिवसेना ने महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर का मुद्दा उठाया तो राज्य सरकार ने बाल ठाकरे को पहली और आखिरी बार गिरफ्तार किया।
महाराष्ट्र का CM बनने से पहले उद्धव ठाकरे ने लिया ऐसा फैसला कि लोग कह रहे "CM हो तो ऐसा"
बता दें कि बाल ठाकरे के गिरफ्तार होते ही दंगे हो गए। इस दंगे में 151 पुलिस वाले तथा 69 लोग मारे गए जबकि 250 से अधिक घायल हुए। इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने जेल में बंद बाल ठाकरे से गुजारिश की कि अपने लोगों को रोको। करीब 7 दिन तक चले दंगों के बाद बाल ठाकरे अपने लोगों को रोका। इसके बाद दोबारा कभी बाल ठाकरे को अरेस्ट नहीं किया गया।