महात्मा गाँधी की पत्नी कस्तूरबा की ये 5 अनोखी चूड़ियां जो अंतिम संस्कार के बाद भी नहीं जली
2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के रूप में देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पोरबंदर में हुआ था। उनके जीवन से जुड़े कई किस्से बेहद लोकप्रिय है। देश को आजादी दिलाने में भी उनका महत्वपूर्णं योगदान है। आज हम उनकी पत्नी से जुड़े एक किस्से को बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे।
मई 1883 में, 14 वर्षीय कस्तूरबा का विवाह 13 वर्षीय मोहनदास करमचंद गांधी के साथ हुआ था। कस्तूरबा और महात्मा गांधी का वैवाहिक जीवन काफी अच्छा रहा है। इन दोनों के चार पुत्र थे और सबसे बड़े का निधन जन्म के कुछ समय बाद ही हो गया था।
कस्तूरबा हमेशा महात्मा गांधी को सपोर्ट करती थी। 9 अगस्त, 1942 को मुंबई में महात्मा गांधी शिवाजी पार्क में एक बहुत जनसभा को संबोधित करने वाले थे लेकिन उस से पहले पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सभी ये सोच कर [परेशान थे कि अब वक्ता कौन होगा। तब कस्तूरबा ने कहा कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं। मैं खुद इस सभा को संबोधित करूंगी। वे हर परिस्थिति में अपने पति के साथ रहती थी।
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कुछ समय बाद कस्तूरबा गांधी जी को गंभीर किस्म का ब्रोंकाइटिस हो गया। उन्हें 3 दिल के दौरे पड़े। महात्मा गांधी को पता था कि वे अब कुछ समय ही जीवित रहेंगी।
उनके अंतिम समय में उनकी पोती कनु ने उनकी सेवा की और हमेशा उनके साथ रही। अंत में, 22 फरवरी 1944 को 7:35 बजे, पूना के आगा खान पैलेस में, 74 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
जब उनका अंतिम संस्कार हो रहा था तब उनके दाहिने हाथ में शीशे की पांच चूडियां थीं जो उन्होंने अपने पूरे वैवाहिक जीवन में हमेशा पहने रखी थीं।
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अगले दिन 22 लोगों की मौजूदगी में कस्तूरबा गांधी का अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के चौथे दिन जब रामदास और देवदास ने कस्तूरबा गांधी की अस्थियां जमा कीं तो उन्होंने देखा कि उनकी वो 5 चूड़ियां अभी भी सही सलामत थी और आग की गर्मी भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई। जब गांधी जी को ये बात पता चली तो उन्होंने कहा कि कस्तूरबा कहीं नहीं गई है और वो अभी भी हमारे बीच है।