फूलन देवी: वो खुंखार डकैत जिसने बलात्कार का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों की ले ली जान
फूलन देवी की गिनती देश के सबसे खतरनाक डाकुओं में होती थी। लेकिन वो शुरुआत से डाकू नहीं थी बल्कि डाकू बनने के लिए उसे उसके हालातों ने मजबूर किया। पहले उसका रेप उसके बूढ़े पति ने किया जिस से उसका विवाह नाबालिक उम्र में ही करवा दिया था और फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उसका रेप किया।
10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के घूरा का पुरवा में फूलन का जन्म हुआ था। उसका बाल विवाह हुआ और शादी के समय उसकी उम्र मात्र 10 साल की थी। वह कुछ महीनों ससुराल रही और उसके बाद खराब स्वास्थ्य के चलते उसे मायके आना पड़ा और वापस जाने पर पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली।
कुछ समय बाद फूलन एक डाकू गैंग से मिलने लगी और इनके साथ घूमने लगी। सरदार बाबू गुज्जर फूलन पर आसक्त था। लेकिन विक्रम मल्लाह को ये बात मंजूर नहीं थी इसलिए उसने सरदार की हत्या कर दी और खुद सरदार बन गया।
पहले उसने अपने पति और बीवी को मारा और फिर फिर इस गैंग की भिड़ंत श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर से हुई। इस गुटबाजी की लड़ाई में विक्रम मल्लाह को मार दिया गया। ठाकुरों के गैंग ने फूलन देवी को किडनैप कर बेहमई में 3 हफ्ते तक बलात्कार किया।
फिर फूलन देवी डाकुओं की गैंग में शामिल हो गई। 1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी। वहां आ कर उसने 2 ठाकुरों को पहचान लिया और उन्हें गोली मार दी और बाकियों के बारे में पूछा लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया तो उसने 22 ठाकुरों को मौत के घाट उतार दिया था।
पुलिस फूलन के पीछे पड़ी और उस पर इनाम रख दिया। यहाँ से फूलन देवी को बैंडिट क्वीन नाम भी मिला। बाद में उसने सरेंडर किया और उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज लगे। 11 साल जेल में रहने के बाद वहां से छूटने पर उसने उम्मेद सिंह से विवाह रचाया। 1996 में उसने राजनीति में कदम रखा। 25 जुलाई 2001 को उनकी शेर सिंह राणा ने गोली मार कर हत्या कर दी।