रामनाथ कोविंद ने भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में है। लेकिन आपको पता है स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब राष्ट्रपति के शपथ लेते ही उन पर कटाक्ष किया गया, संकीर्णता का आरोप लगाया गया और विवादित बनाने की कोशिश की गई। कोविंद ने अपने भाषण में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी, बाबासाहेब आम्बेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महापुरुषों का उल्लेख किया, लेकिन जवाहरलाल नेहरू का नाम नहीं लिया। कांग्रेस जवाहरलाल नेहरू का नाम नहीं लिए जाने पर आगबबूला हो गई।

इंदिरा को छोड़ इस महिला से विवाह करना चाहते थे फिरोज गांधी!

वैसे नेहरू का भारत के इतिहास में अपने ढंग से योगदान निश्चित रूप से रहा है, वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे, लेकिन भारत के इतिहास को नेहरू के खूंटे से नहीं बांधा जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार का दूसरा फैसला, पाकिस्तान में फिर मचा हड़कंप

रामनाथ कोविंद का मानना है कोई भी व्यक्ति हो चाहे वह अमरीका का राष्ट्रपति हो, ब्रिटेन का प्रधानमंत्री हो अथवा कोई सामान्य व्यक्ति उसे इस बात की स्वाभाविक और नैसर्गिक आज़ादी होनी चाहिए कि वह इतिहास का मूल्यांकन अपनी नज़र से करे।

Related News