शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली है। गुरुवार को उद्धव ठाकरे ने सीएम के पद की शपथ ली। उनके पिता बाल ठाकरे की बात करें तो उनकी महाराष्ट्र में तूती बोलती थी। उन्होंने ही शिवसेना की नीव रखी। उनके गुस्से के आगे मुंबई काँप उठती थी। उन्हें बड़े सम्मान से लोग बालासाहब कहते थे।

उनका अंदाज इतना निराला था कि अगर वो कोई फैसला लेते थे तो उनके सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी लोग उनका बेहद सम्मान करते थे।

23 जनवरी 1926 को पुणे, महाराष्ट्र में जन्मे बाला ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत कार्टूनिस्ट के रूप में की। साल 1960 में महाराष्ट्र में उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर साप्ताहिक पत्रिका मार्मिक की शुरुआत की।

साल 1989 से शिवसेना और बाल ठाकरे के विचारों को जनता तक पहुंचाने के लिए समाचार पत्र ‘सामना’ को भी प्रकाशित किया जाने लगा। बाल ठाकरे ने हमेशा दिल से राजनीति की, बगैर ये सोचे कि इसका अंजाम क्या होगा?

मराठी मानुष के मुद्दे पर दक्षिण भारतीयों और बाद में उत्तर भारतीयों को उन्होंने अपना निशाना बनाया और उनका सबसे अहम मुद्दा हिंदुत्व था। हिंदुत्व के मुद्दे पर वोट मांगने के लिए उन्हें अपना मतदान का अधिकार तक गंवाना पड़ा।

श्रीलंका में आतंक का प्रयाय बने लिट्टे को खुला समर्थन देने को लेकर भी उनकी खूब आलोचना हुई थी । वेलेंटाइन डे पर लड़के लड़कियों की पिटाई करने पर भी उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी है।

इमरजेंसी के वक्त ठाकरे ने इंदिरा गांधी को सपोर्ट करने का फैसला किया था। मुंबई बम धमाकों के बाद टाडा में फंसे संजय दत्त को बाहर निकलवाने में भी उनकी भूमिका रही।

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