रोचक डेस्क। अक्सर आपने भी चींटियों को करीब से आपने भी देखा होगा। इतना ही नहीं इस नन्ही जीव की कड़ी मेहनत देखकर भी आप हैरान हुए होंगे। क्योंकि चींटी एक ऐसी जीव है जो हमेशा व्यस्त ही दिखाई देती है और कई बार तो बहुत सारी चीटियाँ लाइन में चलती हुयी भी नज़र आती है। तो आज हम इसलिए चींटियों के बारे में बताते है कुछ रोचक बाते....

सर्वप्रथम चाय का आविष्कार किसने व कब किया ? जानिए दिलचस्प है इसकी कहानी...


चीटियां इस वजह से एक ही लाइन पर चलती
चींटियों में कुछ ग्रंथियाँ होती हैं जिनसे फेरोमोंस नामक रसायन निकलते हैं। इन्हीं के ज़रिए वो एक दूसरे के संपर्क में रहती हैं। चींटियों के दो स्पर्शश्रंगिकाएं या ऐंटिना होते हैं जिनसे वो सूंघने का काम करती हैं। रानी चींटी भोजन की तलाश में निकलती है तो फेरोमोंस छोड़ती जाती है।

दूसरी चीटियाँ अपने ऐंटिना से उसे सूंघती हुई रानी चींटी के पीछे-पीछे चली जाती हैं. जब रानी चींटी एक ख़ास फेरोमोंस बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी चुन लेती हैं। फेरोमोंस का प्रयोग और बहुत सी स्थितियों में होता है। जैसे अगर कोई चींटी कुचल जाए तो चेतावनी के फेरोमोंस का रिसाव करती है जिससे बाक़ी चींटियाँ हमले के लिए तैयार हो जाती हैं। फेरोमोंस से यह भी पता चलता है कि कौन सी चींटी किस कार्यदल का हिस्सा है।

हाथ पैर का दर्द दबाने से ठीक कैसे होता है ? जानिए

चींटियों के बारे में कुछ रोचक बाते....

  • भले ही हम केवल लाल और काली चींटी के बारे में ही जानते हों लेकिन दुनियाभर में चींटियों की करीब 12,000 प्रजातियां मौजूद हैं।
  • छोटी सी दिखने वाली चींटी अपने वजन से 20 गुना ज्यादा वजन भी उठा सकती है।
  • चींटियों के कान नहीं होते हैं, वो जमीन के कम्पन से ही शोर का अनुभव करती हैं।
  • चींटियां सामाजिक प्राणी होती हैं जो कॉलोनी में रहती है। इस कॉलोनी में क्वीन, मेल चींटी और बहुत सारी फीमेल वर्कर चीटियाँ होती हैं।
  • रानी चींटी के बच्चों की संख्या लाखों में होती है।
  • रानी और मेल चींटी के पंख होते हैं जबकि वर्कर चींटियों के पंख नहीं होते हैं।
  • कॉलोनी में रहने वाले कुछ मेल चींटियों का काम क्वीन के साथ मेटिंग करने तक ही सीमित होता है और इसके बाद वो बहुत जल्द मर जाते हैं।
  • रानी 30 साल से भी ज्यादा समय तक जिन्दा रहती है।
  • रानी चींटी के मरने के बाद चींटियों की कॉलोनी के लिए जीवित रहना बहुत मुश्किल हो जाता है और वो केवल कुछ महीने तक ही जीवित रह पाती हैं।
  • चींटी के शरीर में फेफड़े नहीं होते हैं। ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड के आवागमन के लिए चींटी के शरीर पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं।
  • चींटियां लाइन में चलती हैं क्योंकि इनकी लीडर द्वारा फेरोमोन रसायन स्रावित किया जाता है जिसकी गंध को सूंघते हुए बाकी चींटियां उसके पीछे चलती जाती हैं जिससे एक लाइन बन जाती है।

Related News