किसी के लिए भी मोबाइल फोन टूट जाता है और दुखों का पहाड़ टूट जाता है। हर किसी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया होगा जब उनके फोन की स्क्रीन टूट गई थी। स्मार्टफोन एक्सेसरीज और पार्ट्स महंगे हैं। तो अगर मोबाइल की स्क्रीन टूट जाती है तो उसे बदलने में भी काफी खर्च आता है। तो अब भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम एक ऐसी खोज के साथ आई है जिसके द्वारा आपको टूटी हुई स्क्रीन को बदलने की आवश्यकता नहीं है।

IIT खड़गपुर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता के वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में एक पेपर प्रकाशित किया है। जिसमें नए सेल्फ हीलिंग क्रिस्टलीय पदार्थ की विधि का उल्लेख किया गया है। जिससे टूटे हुए शीशे को उनके मूल स्वरूप में वापस लाया जा सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवित ऊतकों और हड्डियों में घावों को ठीक करने के लिए पिछले एक दशक में कई सिंथेटिक सेल्फ-हीलिंग पॉलिमर, जैल और अन्य सॉफ्टनर का उपयोग किया गया है। हालांकि क्रिस्टलीय सामग्री में इस तरह की मरम्मत की नकल करना एक चुनौती है क्योंकि यह कठोर है।

प्रोफेसर सी मल्ला रेड्डी के नेतृत्व में अध्ययन इस विचार पर आधारित है कि यांत्रिक प्रभाव से अपूरणीय क्षति नहीं होती है। टीम ने ध्रुवीय संरेखण के साथ ठोस सामग्री विकसित की। सामग्री पीजोइलेक्ट्रिक है जिसका अर्थ है कि यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है। वैज्ञानिकों ने ऐसा ही दिखाया है। प्रयोग के दौरान सुई के आकार के क्रिस्टल से बने ग्लास का इस्तेमाल किया गया, जो लगभग 2 मिमी लंबा और 0.2 मिमी चौड़ा था।

इनमें से कई शक्तिशाली आकर्षक शक्तियों की मदद से अपनी सतहों के बीच एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अवधारणा नई नहीं है। सेल्फ-हीलिंग तकनीक का सबसे बड़ा फायदा इसकी शक्ति है। यह सामान्य सामान की तुलना में 10 गुना कठिन है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हम जल्द ही बाजार में स्मार्टफोन पर तकनीक को देखने में सक्षम होंगे।

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