राजस्थान के राजनीतिक संकट में अब तक जो घटा है उसमें अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपनी जादूगिरी दिखाई है। वह एक तरफ अपना समर्थन बचाए रख सके हैं तो दूसरी तरफ सचिन पायलट से उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष पद छीनने में कामयाब रहे हैं। अशोक गहलोत की इस सफलता के पीछे तीन बार के पूर्व विधायक और गहलोत के पुराने साथी प्रद्युम्न सिंह का भी हाथ है।

आपको बता दे सचिन पायलट कैंप से 4 बागी विधायकों को वापस खींचने में कामयाब रहे प्रद्युम्न सिंह का बड़ा हाथ है, शुक्रवार को कांग्रेस के बिधायक रोहित बोहरा सहित अन्य विधायकों दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा और छेतन दूदी के साथ दिल्ली पहुंचे। शनिवार को गहलोत ने बोहरा से फोन पर बात की और फिर बोहरा ने तीन अन्य विधायकों को वापसी के लिए मनाया।

राजस्थान कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि गहलोत चारों विधायकों को यह समझाने में कामयाब रहे कि पायलट के साथ उनका कोई भविष्य नहीं है। गहलोत ने उनकी सारी शिकायतों को दूर करने और अहम जिम्मेदारी देने का वादा किया। इस फोन कॉल के बाद चारों विधायक दिल्ली से निकल पड़े और रविवार सुबह 4 बजे जयपुर पहुंच गए।

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