गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे से उज्जैन पुलिस की पूछताछ की इस दौरान खुलासा भी किया था कि मंदिर परिसर पहुंचकर वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा था। विकास दुबे ने पूछताछ में कबूला था कि एनकाउंटर के डर से उसने पुलिस पर फायरिंग की थी। पूछताछ में विकास ने कहा था कि महाकाल की शरण में आने के बाद मैं मंदिर परिसर में बैठकर बहुत रोया। साथ ही बोला कि मुझे किए पर अफसोस है।

विकास से पूछताछ कर रही पुलिस उस वक्त हैरत में पड़ गई थी जब वह बोला कि मुझे पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने और उन्हें मौत के घाट उतारने पर मजबूर किया गया था। विकास ने यह भी कबूला था कि आठ पुलिसकर्मियों की मौत के बाद हम लोग सबूत भी मिटाना चाहते थे, इसलिए पुलिसकर्मियों के शव जलाने की फिराक में थे। शव जलाने के लिए हम तेल भी लाए थे।

विकास ने ये भी काबुल किया कि उस वक्त पुलिस बल न आता तो आठों के शव जला भी देता। विकास ने बताया था कि घटना से पहले मैंने अपने साथियों को हथियार के साथ बुलाया था और वारदात के बाद सभी को अलग-अलग भागने को कहा।

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