T20 वर्ल्ड कप 2022 में पाकिस्तानी टीम की 1 रन से हार ने सबको हैरान कर दिया। पाकिस्तान को बुरी तरह झकझोर देने वाली इस हार सामना कराने वाली टीम है जिम्बाब्वे। जिंदगी की टीम ने इस विश्व कप में अपने प्रदर्शन से सभी क्रिकेट फैंस का दिल जीत लिया है एक वक्त भ्रष्टाचार और विवाद तथा बहन जैसी मुसीबतों से जूझ रही जिंबाब्वे की टीम अब फिर से एक मजबूत ताकत के रूप में उभर कर सामने आ रही है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है वह दिग्गज बल्लेबाज जिसने भारत को सबसे पहले टी-20 विश्व कप चैंपियन बनाया था। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज 4 साल 2007 में टी-20 विश्व कप धोनी की टीम के कोच रहे लालचंद राजपूत में पिछले 4 सालों में जिंबाब्वे की तकदीर बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। लालचंद राजपूत को 2018 में जिंबाब्वे की पुरुष टीम के मुख्य कोच के रूप में चुना गया था। शुरुआती नाकामियों और निशानियां के बावजूद लालचंद राजपूत ने इस टीम का साथ नही छोड़ा। और अब पाकिस्तान जैसी टीम पर भी जीत दिलाई है।


* विवाद और उथल-पुथल के बीच संभाली कमान :

जिंबाब्वे क्रिकेट टीम में अपनी एंट्री को याद करते हुए राजपूत उस दौर के हालात के बारे में बताते हैं और समझाते हैं कि किस तरह उन्होंने कई तरह की परेशानियों के बावजूद जिंबाब्वे की टीम को तैयार किया। संयोग से जिंबाब्वे की टीम का कोच बनने के बाद उनकी पहली ही सीरीज पाकिस्तान के खिलाफ थी। लालचंद राजपूत ने बताया की मैच से 1 दिन पहले मुझे जिंबाब्वे क्रिकेट ने बताया कि शॉन विलियम्स, क्रेग इर्विन, सिकंदर रजा और ब्रेंडन टेलर बोर्ड के साथ चल रहे वेतन विवाद के कारण बाहर हो गए हैं। इस बात को सुनकर मैं भी काफी हैरान हो गया था।


* क्वालिफिकेशन की खुशी बदली जीत में :

जिंबाब्वे की टीम को पाकिस्तान पर मिली जीत नहीं पूरे जिंबाब्वे को खुश कर दिया. वर्तमान समय में टीम के टेक्निकल डायरेक्टर राजपूत भी इनसे अलग नहीं है। लालचंद राजपूत ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में ही t20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था और यहां सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व महसूस हो रहा है।


* सीनियरों को ललकारा :

इसके बाद पूर्व सलामी बल्लेबाज राजपूत ने रजा में मुंबई की शैली लाई। और उनके अलावा इर्विन और रेजिस चकाब्वा तथा विलियम्स जैसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ दिल से बात की आगे राजपूत ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि अगर आप सीनियर से आगे नहीं आओगे तो मैच जिताने में अधिक जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो जिंबाब्वे के लिए खेलने का कोई मतलब नहीं रहेगा। यदि टीम को हराना है तो मैं युवाओं को सुनना पसंद करूंगा और परिणाम के बारे में नहीं सोचगा। और इस ने काम किया और उनकी मानसिकता बदल गई।

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