वैश्विक संस्थागत मूल्यों का संरक्षण आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति और विश्व व्यवस्था लिए सबसे बड़ी चुनौती है । वैश्विक संस्थाओं के मूल्यों, मानकों, निर्णयों के खिलाफ जाकर काम करने की आदत कई देशों में विकसित हो गई है। इस चुनौती को हाल ही में बाली में आयोजित जी-20 समिट में महसूस किया गया है। इस बैठक में वैश्विक, सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए वैश्विक संस्थागत मूल्यों की पुनर्बहाली पर बल दिया गया है।

बाली समिट में एक नियम आधारित, भेदभावविहीन, स्वतंत्र, निष्पक्ष, मुक्त, समावेशी, समतामूलक और पारदर्शी मल्टीलैटरल ट्रेडिंग सिस्टम के विकास में विश्व व्यापार संगठन की केंद्रीय भूमिका को मजबूत करने की बात की गई है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि जी-20 के सदस्य देश इस बात पर सहमत थे कि वे विश्व व्यापार संगठन की संरचना, प्रकार्य, क्षेत्राधिकार, विवाद निस्तारण तंत्र से जुड़े आवश्यक सुधारों के लिए चर्चा करने के लिए तैयार हैं।

दरअसल भारत जैसे उभरते हुए विकासशील बाजार अर्थव्यवस्थाओं का यह कहना रहा है कि विश्व व्यापार संगठन को एक ऐसा निष्पक्ष मंच बनाया जाना चाहिए जो विकसित देशों के साथ ही विकासशील देशों अल्पविकसित देशों, छोटे छोटे द्वीपीय देशों के आर्थिक अधिकारों के हितों के प्रति संवेदनशील हो और निष्पक्ष निर्णय देने के लिए कार्य करें। भारत की इस अपेक्षा का जवाब जी-20 के बाली उद्घोषणा में मिला है।


वैश्विक संस्थागत मूल्यों के संरक्षण की दिशा में काम करना अब जी-20 जैसे संगठनों के लिए एक चयन का विषय नहीं, बल्कि एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, क्योंकि जिस प्रकार से दुनिया में अलग-अलग प्रकार की चुनौतियां उभर रही हैं, उनसे कोई विकसित देश भी अछूता नहीं है। ऐसे में इस समिट में कहा गया है कि विश्व समुदाय में कानून के शासन, मानवाधिकार संरक्षण, लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण की सोच से जुड़े बिना राष्ट्रीय हितों को प्राप्त कर पाना और उसे लंबे समय तक बनाये रख पाना एक कठिन कार्य है

बाली समिट में जी-20 सदस्य देशों ने ग्लोबल इकोनमिक रिकवरी के लिए भी वैश्विक संस्थागत मूल्यों की मजबूती पर बल दिया है। इसके अलावा जी-20 समिट में वैश्विक आर्थिक संस्थागत मूल्यों की मजबूती के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भूमिका को प्रभावी बनाने की बात कही गई है। सीमा पार भुगतान तंत्र को प्रभावी बनाने के लिए वित्तीय संस्थाओं की कुशल भूमिका की पहचान भी जी-20 सदस्य देशों ने की है।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि बाली समिट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के गवर्नेंस में सुधार की प्रक्रिया को तेज करने पर बल दिया गया है और 16 में जनरल रिव्यू आफ कोटा के तहत 15 दिसंबर, 2023 तक एक नया कोटा फार्मूला बनाने की बात भी हुई है। भारत जैसे विकासशील देश यह चाहते हैं कि आइएमएफ का कोटा सिस्टम ऐसा हो जिससे विकासशील देशों को भी कोटा का आवंटन गैर भेदभावकारी तरीके से किया जाए।

Related News