नई दिल्ली: जीवन के बुरे दिन कब आएंगे किसी को नहीं पता। इससे निपटने के लिए बचत बहुत जरूरी है। खासकर यह तब आवश्यक हो जाता है जब बीमारी, नौकरी, विकलांगता या वृद्धावस्था जैसे कई कारणों से पैसा कमाना मुश्किल हो जाता है। आज के दौर में बचत इतनी जरूरी हो गई है कि सरकार इसके लिए आर्थिक साक्षरता का अभियान चला रही है।

बचत को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक शिविरों का आयोजन कर जागरूकता भी बढ़ाते हैं। छोटे सपने को छोटी बचत से आकार दिया जा सकता है। इसे देखते हुए, विश्व बचत दिवस हर साल 31 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। 31 अक्टूबर 1984 को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के कारण, भारत में हर साल 30 अक्टूबर को विश्व बचत दिवस मनाया जाता है। पहली अंतर्राष्ट्रीय बचत कांग्रेस मिलान में आयोजित की गई थी। इटली ने 31 अक्टूबर 1924 को विश्व बचत दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बचत के प्रति हमारे व्यवहार को बदलना है और हमें निरंतर धन के महत्व को याद दिलाना है।

बचत की आदत देश को मनुष्यों के साथ सुखद भविष्य की ओर ले जाती है। हालाँकि, बचत की आदत भारतीय समाज की विशेषता रही है। हमारे माता-पिता हमें पैसे के महत्व और बचपन से बचाने की आवश्यकता सिखाते हैं। एक बच्चे के रूप में हमें मिलने वाले कुछ पैसे बच जाते थे। इस आदत को बनाए रखने की जरूरत है।

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