मध्यप्रदेश में सियासी उठापठक का दौर जारी है। कांग्रेस के सिंधिया समेत 22 विधायक कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं जिनमे से 6 का इस्तीफा स्वीकार किया गया है।

इसके बाद तुंरत ही बीजेपी ने दाव खेला और फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की, लेकिन एमपी के सीएम कमलनाथ ने कोरोना वायरस का बहाना लेते हुए टेस्ट को 10 दिन के लिए टालने की मांग की। इसके बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए और फ्लोर टेस्ट तुरंत करवाने के लिए कहा।

लेकिन आखिर कमलनाथ क्यों नहीं चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट हो? दरअसल ये बात साफ है कि अगर कांग्रेस बाकि बचे हुए 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करती है तो कांग्रेस का गणित गड़बड़ा जाएगा और कांग्रेस में शामिल सदस्यों की संख्या 121 से मात्र 99 रह जाएगी। विधानसभा के सदस्यों की संख्या 206 और बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा।

इसलिए कमलनाथ नहीं चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट हो। इतना ही नहीं, कांग्रेस के बाग़ी विधायकों ने ये भी कहा है कि अभी कांग्रेस के 20 विधायक और हमारे साथ शामिल होंगे।

कमलनाथ को इस बात का डर है कि फ्लोर टेस्ट होते ही कांग्रेस को मध्यप्रदेश से हाथ धोना पड़ेगा साथ ही ये भी हो सकता है कि उन 22 विधायकों के अलावा और भी विधायक भाजपा में शामिल हो जाएं। जो 22 विधायक कांग्रेस से इस्तीफा देना चाहते हैं वो ये भी कह रहे हैं कि वे कमलनाथ के काम करने के तरीके से खुश नहीं थे और पार्टी में उनका जरा भी सम्मान नहीं था।

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