बिहार के नेताओं की पहली पसंद क्यों है रेलवे? इन नेताओं ने किया दावा
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दिल्ली में सरकार बनाने की कोशिशों के बीच एनडीए के दो घटक दलों की ओर से रेल मंत्रालय को लेकर मांग उठ रही है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार और चिराग पासवान दोनों ही रेल मंत्रालय पर दावा कर रहे हैं। रेलवे में नौकरी और रेलवे दो ऐसे पहलू हैं जो राजनेताओं को उनकी ओर आकर्षित करते हैं।
इसी तरह पत्रकार कौशलेंद्र ने कहा कि रेलवे लोगों से रोजाना जुड़ा हुआ है, जिससे राजनेताओं को लगता है कि वे इस माध्यम से लोगों से बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं। वंदे भारत ट्रेन के डिजाइनर सुधांशु मणि ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में रेलवे बजट को बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसलिए उनका प्रयास प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क को अपने नियंत्रण में रखने पर केंद्रित होगा।
रेलवे पर नीतीश का दावा
अटल बिहारी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान नीतीश कुमार रेल मंत्री रह चुके हैं। इसलिए जनता दल यूनाइटेड रेल मंत्रालय पर दावा कर रही है। एनडीए गठबंधन में नीतीश कुमार तीसरे नंबर पर हैं। इससे भाजपा के लिए उनके दावे को सिरे से खारिज करना मुश्किल हो जाता है।
चिराग रेलवे पर कर रहे हैं दावा
चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान पहले देश के रेल मंत्री रह चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बिहार के हाजीपुर में रेलवे जोन की स्थापना की थी। रेलवे में अपने कार्यकाल के दौरान वे काफी लोकप्रिय हुए थे। चिराग पासवान एक बार फिर अपने पिता की विरासत को संभालना चाहते हैं। यही वजह है कि वे रेलवे पर भी दावा कर रहे हैं।
आजादी से अबतक बिहार को 8 रेल मंत्री मिले
देश के आजाद होने के बाद से अबतक आठ रेल मंत्री बिहार से हुए हैं। इनमें बाबू जगजीवन राम (1962), राम सुभग सिंह (1969), ललित नारायण मिश्रा (1973), केदार पांडे (1982), जॉर्ज फर्नांडिस (1989), रामविलास पासवान (1996), नीतीश कुमार (1998) और 2001 (दो बार) और लालू प्रसाद यादव (2004) शामिल हैं। पत्रकार कन्हैया बताते हैं कि यूपीए के दौर में रेल मंत्रालय को लेकर लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के बीच प्रतिद्वंद्विता थी, लेकिन लालू यादव मंत्रालय पाने में सफल रहे।
भाजपा रेल मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रहे हैं। सुधांशु मणि ने बताया कि प्रधानमंत्री ने रेलवे में विभिन्न परियोजनाओं को काफी बढ़ावा दिया है। चाहे वह वंदे भारत ट्रेन हो या बुलेट ट्रेन परियोजना, वह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि रेल मंत्रालय उनके नियंत्रण में रहे।