बता दें कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सीमा से लगा पनमुनजोम इलाका 4 किमी चौड़ा और 238 किलोमीटर लंबा है। इस इलाके में दाखिल होने से पहले हर व्यक्ति को एक ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने होते हैं, जिस पर लिखा होता है कि यहां आने वाला व्यक्ति घायल हो सकता है अथवा उसकी मौत भी हो सकती है। अब आप इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं कि इस इलाके को दुनिया का सबसे खतरनाक बॉर्डर क्यों कहा जाता है। पनमुनजोम एक ऐसी जगह है जिस पर दक्षिण कोरिया तथा उत्तर कोरिया की हिस्सेदारी है।

उत्तर तथा दक्षिण कोरिया के सैनिक रहते हैं आमने-सामने

पनमुनजोम में उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया के सैनिक हमेशा एक दूसरे के सामने खड़े रहते हैं। शांति समझौते की शर्तों के मुताबिक, अमेरिका की दो सैन्य टुकड़ियां इस इलाके की चौकसी करती रहती हैं।

पनमुनजोम है अंतरराष्ट्रीय सीमा

1953 में हुए युद्ध विराम के बाद पनमुनजोम को विशेष रूप से असैन्यीकृत कर दिया गया। इस इलाके में उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया की सेनाएं एकत्र नहीं हो सकती है। दोनों देशों की इस भौगोलिक रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा मान लिया गया है, जिसके चलते इस इलाके में ना ही सेना रह सकती है और ना ही भारी मात्रा में गोला बारूद रखा जा सकता है।

युद्ध विराम वाला गांव

पनमुनजोम एक ऐसा युद्ध विराम वाला गांव है, जहां की आबादी नहीं के बराबर है। इस इलाके को लेकर उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया के बीच हमेशा विवाद बना रहता है। पनमुनजोम की वजह से हुए युद्ध के कारण अब तक 50 लाख लोगों की जान चुकी है। इनमें से करीब 25 लाख आम नागरिक थे।

सैलानियों को दस्तावेजों पर करने होते हैं दस्तखत

पनमुनजोम बेहद खतरनाक एरिया है। इस इलाके के आर-पार जाना बहुत असंभव है। पनमुनजोम गांव आने वाले सैलानियों को कॉन्फ्रेंस रूम के भीतर दस्तावेजों पर दस्तखत करने होते हैं।

अनोखा कॉन्फ्रेंस रूम

पनमुनजोम में मौजूद कॉन्फ्रेंस रूम बेहद अनोखा है। जानकारी के लिए बता दें कि यह कॉन्फ्रेंस रूम दोनों देशों की ज़मीन पर मौजूद है। इस कॉन्फ्रेंस रूम का एक सिरा उत्तर कोरिया में तथा दूसरा सिरा दक्षिण कोरिया में है। इस इस जगह को जॉइंट सिक्योरिटी एरिया कहा जाता है।

Related News