काफी लंबे समय बाद प्रियंका गांधी को कांग्रेस में बड़ी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जी हां, पार्टी संगठन में प्रियंका गांधी को महासचिव बनाया गया है। इसी के साथ प्रियंका गांधी की भारतीय राजनीति में सक्रिय शुरूआत भी हो चुकी है। इसी के साथ प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस की इस रणनीति को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

आपको जानकारी के लिए बता दें देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, इसके लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश को जीतना सबसे जरूरी माना जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वांचल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर जैसी अहम सीटें हैं। मौजूदा समय में पूर्वांचल भाजपा का गढ़ बना हुआ है, ऐसे में पूर्वांचल की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपकर कांग्रेस ने एक बड़ा दाव चल दिया है।

बता दें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश यानि पूर्वांचल में वाराणसी, गोरखपुर, भदोही, इलाहाबाद, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, चंदौली, कुशीनगर, मऊ, आजमगढ़,देवरिया, महराजगंज, बस्ती, सोनभद्र, संत कबीरनगर और सिद्धार्थनगर जैसे जिले आते हैं।

लोकसभा चुनाव 2014 में केवल आजमगढ़ को छोड़कर भाजपा ने पूर्वांचल की लगभग सीटों पर विजयश्री हासिल किया था। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि तब सपा, बसपा और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे। इसलिए इन पार्टियों को मोदी लहर के मुकाबले काफी क्षति उठानी पड़ी थी। लेकिन उप चुनाव 2018 में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में महागठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी। इसी को आधार बनाकर एक दूसरे की धुर विरोधी सपा-बसपा और आरएलडी ने लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर महागठबंधन कर लिया है। हांलाकि कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ी है।

आपको बता दें कि पूर्वांचल में कांग्रेस अभी भी ​जीवित है। साल 2009 में पूर्वांचल की 21 सीटों पर 8 सीटें बसपा, 7 सीटें सपा और 6 सीटें कांग्रेस के खाते में आई थी। ऐसे में कांग्रेस पार्टी सपा-बसपा से इतर बीजेपी के सवर्ण और पिछड़े वोटों में सेंध लगाकर उसे उसी के घर में मात देने की पूरी तैयारी कर चुकी है।

गौरतलब है कि महागठबंधन और कांग्रेस के मुकाबले लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्वांचल में बीजेपी के लिए 2014 जैसे नतीजे दोहराना आसान नहीं होगा। केवल पीएम मोदी की वाराणसी जैसी सीट छोड़ दें तो पूर्वांचल की ज्यादातर सीटें बीजेपी के हाथों से निकल जाएंगी। यह बात सभी जानते हैं कि यदि भाजपा के हाथों से पूर्वांचल खिसका तो देश की सत्ता तक पहुंचना बहुत मुश्किल काम होगा। बता दें कि कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपकर भाजपा का विजय रथ रोकने की तैयारी में जुट चुकी है।

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