कश्मीर में हजारों हिंदुओं और सिखों का किसने किया नरसंहार ? कई राज खोलेगी एसआईटी जांच
श्रीनगर: 1989-2003 के बीच जम्मू-कश्मीर में हजारों हिंदुओं और सिखों के नरसंहार के लिए कौन जिम्मेदार था? हिंदुओं और सिखों का खून बहाने वाले इन अपराधी लोगों की मदद किसने की? अब इन अपराधियों की पहचान के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गई है। 'वी द सिटिजन' नाम के एक एनजीओ ने भारत सरकार से यह मांग की है।
एनजीओ ने भारत सरकार द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की बात कही है. इन लोगों ने जम्मू-कश्मीर के उन हिंदुओं और सिखों की जनगणना की भी मांग की है, जो आज देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने को मजबूर हैं। इस एनजीओ ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि जनवरी 1990 में पलायन के बाद यहां हुई सभी संपत्ति की बिक्री को रद्द कर दिया जाए। चाहे वह धार्मिक, आवासीय, कृषि, वाणिज्यिक, संस्थागत, शैक्षिक या कोई अन्य अचल संपत्ति हो।
एनजीओ का कहना है कि राज्य की मशीनरी सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों से इस हद तक प्रभावित है कि उन अपराधियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है जो धार्मिक हत्याओं और पलायन के मुख्य अपराधी थे। यह इस बात से भी स्पष्ट होता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया और देशद्रोहियों को कश्मीर पर कब्जा करने की खुली छूट मिल गई। इसके साथ ही एनजीओ ने केंद्र से कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के पुनर्वास की व्यवस्था करने की भी मांग की है जो 1990 में या उसके बाद अपने जीवन और धर्म को बचाने के लिए कश्मीर से देश के किसी अन्य हिस्से में चले गए थे।
एनजीओ 'वी द सिटिजन्स' ने भी अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के जरिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश को जम्मू-कश्मीर के उन हिंदुओं और सिखों की जनगणना करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जो आज किसी तरह देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं.