इंटरनेट डेस्क। बलात्कार की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अब यह घटनाएं चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। युवतियां हो या छोटी बच्चियां दरिंदों की नजरों से कोई नहीं बच पाया है।

समय समय बच्चियों के साथ होती बलात्कार की घटनाओं इस बात की गवाह है कि आज के समय में कोई भी सुरक्षित नहीं है। कुछ लोग इसके लिए महिलाओं के कपड़े पहनने के ढगं को दोषी ठहराते हैं लेकिन फिर उन छोटी बच्चियों का क्या कसूर है जो इन वैशी दरिंदों द्वारा नोची जाती है।

2012 में हुआ निर्भया गैंग रेप, अप्रैल 2018 में मासूम आसिफा के साथ हुआ रेप और जून 2018 में 8 साल की बच्ची के साथ हुआ मंदसौर रेप केस इस बात के जीते जागते गवाह है कि रेप केस दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं।

बात आती है कि इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? क्या इसके लिए लड़कियों के कपड़े या उनका रहन सहन जिम्मेदार है या लोगों की सोच जिम्मेदार है। इसके लिए साफ़ तौर पर लोगों की सोच ही जिम्मेदार है। ऐसे लोगों की मानसिकता को सुधारने की जरूरत है।

हमें बच्चों को भी इसके लिए शुरुआत से ही समझना होगा और घिनौनी सोच को भी बदलना होगा। इसके लिए हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है तभी रेप की घटनाओं को कम किया जा सकता है।

समाज को भी बदलने की जरूरत है। समाज को इन सब के खिलाफ शिक्षित कर के रेप की घटनाओं को कम किया जा सकता है।

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