'द लोटस इयर्स - पॉलिटिकल लाइफ़ इन इंडिया इन द टाइम ऑफ़ राजीव गांधी' के लेखक अश्विनी भटनागर बताते हैं, तेज़ गति से कार चलाने के शौकीन राजीव बहुत ही अनुशासित ढंग से विमान चलाते थे, शुरू में वो डकोटा चलाते थे लेकिन बाद में वो बोइंग उड़ाने लगे थे। जब भी वो पायलट की सीट पर होते थे, कॉकपिट से सिर्फ़ अपना पहला नाम बता कर यात्रियों का स्वागत करते थे।

जब राजीव गांधी इंजीनियरिंग का ट्राइपोस कोर्स करने कैंब्रिज गए तो वहाँ 1965 में उनकी मुलाक़ात इटली में पैदा हुई सोनिया गाँधी से हुई और देखते ही उन्हें उनसे प्यार हो गया। अश्विनी भटनागर बताते हैं, वो दोनों एक ग्रीक रेस्तराँ में जाया करते थे, "राजीव ने रेस्तराँ के मालिक चार्ल्स एन्टनी को मनाया कि वो उन्हें सोनिया की बग़ल वाली मेज़ पर बिठा दें. एक अच्छे ग्रीक व्यापारी की तरह चार्ल्स ने उनसे इस काम के लिए दोगुने पैसे वसूले."

बाद में उन्होंने राजीव गाँधी पर सिमी गरेवाल की बनाई फ़िल्म में कहा कि 'मैंने पहले किसी को इतने अधिक प्यार में नहीं देखा.' जब राजीव कैंब्रिज में पढ़ते थे तो अपना ख़र्चा चलाने के लिए वो आइसक्रीम बेचा करते थे और सोनिया से मिलने साइकल पर जाया करते थे।

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