जब अंग्रेज को आर्मी चीफ बनाना चाहते थे नेहरू, लेकिन इस शख्स ने नहीं चलने दी मनमानी
जनवरी 15, 2020 को पूरा देश मकर संक्रांति के साथ-साथ सेना दिवस भी मना रहा है। तो आज सेना दिवस के मौके पर हम आपको ऐसा किस्सा सुना रहे है जिसके बारे में सायद ही आपको पता होगा, हर वर्ष इस तारीख को सेना दिवस इसीलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में जनरल कोडनान मडप्पा करियप्पा को स्वतंत्र भारत का पहला सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। क्या आपको पता है कि देश के पहले सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल करियप्पा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहली पसंद नहीं थे। दरअसल, नेहरू चाहते थे कि किसी अंग्रेज अधिकारी को सेनाध्यक्ष बनाया जाए।
बात करे उस समय की जब पंडित नेहरू की उस बैठक में कई बड़े नेता व अधिकारी शामिल थे। बैठक को सम्बोधित करते हुए तत्कालीन पीएम ने कहा कि किसी भी भारतीय के पास सेना के नेतृत्व का अनुभव नहीं है, इसीलिए ये पद किसी अंग्रेज को ही देना चाहिए। बैठक में सबने नेहरू की हाँ में हाँ मिलाई लेकिन एक सैन्य अधिकारी ऐसे भी थे जो नेहरू की राय से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते थे। वो शख्स थे- लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठौड़।
लेफ्टिनेंट जनरल राठौड़ ने कहा कि अगर किसी भारतीय के पास अनुभव नहीं है तो इसका अर्थ ये नहीं है कि भारत को गुलाम रखने वाले अंग्रेजों में से ही किसी एक को सेनाध्यक्ष की पदवी दे दी जाए।