जब सियाचिन में हुआ था चमत्कार, 35 फीट बर्फ में दबा यह जवान 5 दिन बाद निकला था जिंदा
इंटरनेट डेस्क। लांस नायक हनुमनथप्पा और उनके 9 सहयोगी सियाचिन में जब आराम कर रहे थे अचानक कुदरत ने अपना ऐसा कहर दिखाया कि कुछ ही पल में वो और उनके साथी तुरंत सियाचिन ग्लेशियर में 35 फीट बर्फ के नीचे दफन हो गए। जी हां, ये किस्सा है साल 2016 का जब पूरे देश की निगाहें लांस नायक हनुमनथप्पा पर टिकी हुई थी।
लांस नायक हनुमनथप्पा के धंसने की खबर मिलते ही भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने दफन सैनिकों को बाहर निकालने के लिए काफी प्रयास किए और एक बेहद मुश्किल अभियान शुरू किया। लंबे चले अभियान के बाद दस सैनिकों में से बचाव दल ने लांस नायक हनुमानथप्पा को ही वहां जिंदा पाया।
लांस नायक हनुमनथप्पा को निकालने के तुरंत उनका मेडिकल चैकअप के करवाने के लिए पास ही के आरआर अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मेडिकल कंडीशन सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किए गए।
जब बचाव दल बर्फ के विशाल ब्लॉक को तोड़ता हुआ दफन हुए सैनिकों को निकाल रहा था तब पूरा दल यह देखकर आश्चर्यचकित था कि लांस नायक हनुमनथप्पा अभी भी सांस ले रहे थे। विशेषज्ञों ने कहा कि हनुमंथप्पा बच गए क्योंकि वह एक हवा के बुलबुले में फंसे हुए थे।
प्रधानमंत्री मोदी, सेना प्रमुख हनुमंथप्पा से मिलने अस्पताल पहुंचे थे-
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह हनुमंथप्पा से मिलने के लिए आर्मी रिसर्च और रेफरल अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टरों ने कहा कि जवान की स्थिति के बारे में उस समय कुछ नहीं कहा जा सकता है।
पूरा देश उस समय लांस नायक हनुमनथप्पा के लिए दुआएं कर रहा था, हर जगह से खबरों में लांस नायक हनुमनथप्पा के लिए दुआ के संदेश आ रहे थे, लेकिन उनकी तबियत में सुधार ना हों सका और 11 फरवरी को वो हमारे बीच नहीं रहे।
सियाचिन - अदृश्य दुश्मन
सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है। इस क्षेत्र में न्यूनतम तापमान -50 डिग्री सेल्सियस या सर्दियों में -140 डिग्री फारेनहाइट तक चला जाता है। 1984 से भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बना रखी है।
भारतीय सेना के आंकड़ों के अनुसार, अब तक सियाचिन में 800 से ज्यादा जवान मारे गए हैं। विडंबना यह है कि इस क्षेत्र में चरम मौसम की स्थिति के चलते ज्यादातर सैनिक मारे जाते हैं।