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दोस्तों, आपको बता दें कि यह बात उन दिनों की है जब दुनिया में विज्ञान का उत्कर्ष शुरू हुआ था, जिससे मशीनें पहले से तेज और ज़्यादा स्मार्ट बन रही थीं। हर देश उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक मशीनें चाहता था। लेकिन पश्चिम में बढ़ते विज्ञान को देखकर हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे महात्मा गांधी सहमे हुए थे। उन्होंने इस बात का उल्लेख अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में बहुत पहले ही कर दिया था। हिंद स्वराज में उन्होंने लिखा था कि मशीनें यूरोप को उजाड़ने लगी हैं और वहां की हवा अब हिंदुस्तान में चल रही है। यंत्र आज की सभ्यता की मुख्य निशानी है और वह महापाप है, ऐसा मैं तो साफ देख सकता हूं।

इसी दौर में फिल्मी दुनिया का चमकता सितारा चार्ली चैप्लिन भी विज्ञान की आवश्यकता को महसूस करने लगे थे। चार्ली चैप्लिन भी खुद इन नई मशीनों के सहारे अपने धंधे का विस्तार कर रहे थे। वहीं इमरसन, रस्किन और टॉल्स्टॉय जैसे चिंतक मशीनों के चंगुल से आज़ाद करके मानवता को प्रकृति की तरफ ले जाने के जबरदस्त पक्षधर थे, लेकिन वह खुद को अजीब धर्म संकट में फंसा हुआ महसूस कर रहे थे।

दोस्तों, यह घटना 1931 की है, जब महात्मा गांधी पूरी दुनिया में विख्यात हो चुके थे। दुनिया या तो उनसे प्यार कर रही थी या नफरत। उनके असहयोग आंदोलन ने अंग्रेजों को यह अच्छी तरह से समझा दिया था कि बिना हिंसा का इस्तेमाल किए वह जो भी हासिल करना चाहते हैं, उसे वह धीरे-धीरे प्राप्त कर रहे हैं।

दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए वह लंदन में मौजूद थे, उस वक्त वाइसरॉय विलिंग्डन खुद को गांधी के सामने बेहद बेबस महसूस करते थे। उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर अपनी बहन को एक पत्र लिखा जो इस प्रकार है-

अगर गांधी न होता तो यह दुनिया वाकई बहुत खूबसूरत होती। वह जो भी कदम उठाता है उसे ईश्वर की प्रेरणा का परिणाम कहता है, लेकिन असल में उसके पीछे एक गहरी राजनीतिक चाल होती है। अमेरिकी प्रेस उसको गजब का आदमी बताती है, यह सच है कि मैं निहायत अव्यावहारिक, रहस्यवादी और अंधविश्वासी जनता के बीच रहा हूं, जो गांधी को भगवान मान बैठी है।

जी हां, भारत के इस भगवान से मिलने के लिए चार्ली चैप्लिन भी खासे उत्साहित थे। अपनी फिल्म सिटी लाइट्स का प्रचार करने के लिए वह भी लंदन में ही मौजूद थे। उन्हें सुझाव मिला कि गांधी से मिलने का अच्छा मौका है।

दोस्तों, आपको बता दें कि ब्रिटीश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल जो गांधी को अधनंगा फकीर कहकर उनका मजाक उड़ा चुके थे, उनसे चार्ली चैप्लिन भी अक्सर गुफ्तगू करते थे।

चैप्लिन की आत्मकथा के अनुसार, जब उन्होंने विंस्टन चर्चिल को बताया कि वह गांधी से मिलने जा रहे हैं, जो कि इन दिनों लंदन में है। विंस्टन के साथ आए ब्रैकेन बोले-हमने इस व्यक्ति को बहुत झेल लिया है। भूख हड़ताल हो या न हो, उन्हें चाहिए कि वे इन्हें जेल में ही रखें। नहीं तो ये बात पक्की है कि हम भारत को खो बैठेंगे।

तब चार्ली चैप्लिन ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा- लेकिन अगर आप एक गांधी को जेल में डालते हैं, तो दूसरा गांधी उठ खड़ा होगा और जब तक उन्हें वह मिल नहीं जाता जो वे चाहते हैं वे एक गांधी के बाद दूसरा गांधी पैदा करते रहेंगे। इस पर चर्चिल ने मुस्कुराते हुए चार्ली से कहा कि आप तो अच्छे खासे लेबर सदस्य बन सकते हैं।

गौरतलब है कि विंस्टन चर्चिल भारत पर राज करना इतना ज़रूरी समझते थे कि अप्रैल 1931 में उन्होंने कहा था कि यदि हमने जिस दिन भारत को खो दिया, उसी दिन ब्रिटीश साम्राज्य का अंत हो जाएगा।

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