राजस्थान में बीजेपी में वसुंधरा राजे काफी वक्त से किनारे हैं, लेकिन संख्या बल में बीजेपी में 72 में से 45 विधायक वसुंधरा गुट के माने जाते हैं, लेकिन आपको बता दे इन मामले में वसुंधरा राजे धौलपुर महल में रहीं, वह न तो जयपुर आईं और न ही दिल्ली गईं, यही नहीं राजे ने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई बयान भी नहीं दिया।

वसुंधरा राजे के रवैये को देख बीजेपी इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई, शक की एक और वजह वसुंधरा राजे और गहलोत के बीच नजदीकी भी है। वसुंधरा राजे से सरकारी बंगला खाली करवाने का आदेश हाईकोर्ट ने दे दिया था,उसके बावजूद गहलोत ने राजे से बंगला खाली नहीं करवाया और न ही नोटिस दिया, जबकि किरोड़ीलाल मीणा और कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया से कोर्ट के आदेश का पालन करवाते हुए बंगला खाली करवा लिया था।

दरअसल, गहलोत सरकार गिरने में वसुंधरा राजे को फायदे से ज्‍यादा नुकसान अधिक दिखा, अगर बीजेपी का मुख्यमंत्री बनता है तो पार्टी राजे के बजाय गजेंद्र शेखावत या किसी औऱ युवा चेहेरे पर दांव खेलना चाहती थी। पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन देना रणनीति का हिस्सा था।

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