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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद, कांग्रेस नई ऊर्जा के साथ आगे की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी की निगाहें अब उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों पर हैं, जिसके लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी का मुख्य फोकस प्रदेश के जातीय समीकरण को साधते हुए संगठन को मजबूत बनाना है।

कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस उन मुस्लिम, पिछड़े और वंचित समाज के लोगों को फिर से जोड़ने की कोशिश करेगी जो पहले उनसे छिटक गए थे। साथ ही, पार्टी निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की छंटनी भी करेगी।

जनाधार बढ़ाने की कोशिश
इस बार के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम, पिछड़े और वंचित समाज ने कांग्रेस को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया, जिससे पार्टी का जनाधार बढ़ा। कांग्रेस इस आधार पर प्रदेश में अपने संगठन का विस्तार करना चाहती है। इसके लिए पार्टी उन कार्यकर्ताओं को अहम पदों से हटाएगी जो निष्क्रिय हैं और काम नहीं कर रहे हैं।

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निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की छंटनी
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की छंटनी करेगी और अल्पसंख्यक, ओबीसी, और अनुसूचित जाति विभाग का विस्तार करेगी। ये विभाग तीन हिस्सों में बंटे होंगे—पूर्वांचल, पश्चिमी यूपी, और मध्य यूपी। इन विभागों का मुख्य कार्य पार्टी संगठन को इन समुदायों के बीच मजबूत करना और बूथ स्तर पर सक्रियता बढ़ाना होगा।

संगठन को मजबूत करने की योजना
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने सभी फ्रंटल संगठनों और पदाधिकारियों के साथ बैठक की है, जिसमें बूथ स्तर पर संगठन को सक्रिय और मजबूत बनाने के सुझाव मांगे गए हैं। पार्टी ने मुस्लिम और दलितों के समीकरण को साधने के लिए जो योजना बनाई थी, उसमें अब अति पिछड़ों को भी शामिल किया जाएगा।

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कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन
पार्टी के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता वंचित समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा और पार्टी की ओर से भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जो कार्यकर्ता सक्रिय होकर काम करेंगे, उन्हें अहम पद दिए जाएंगे और प्रोत्साहित किया जाएगा। वहीं, निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

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