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राजस्थान के टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार और पूर्व कांग्रेस नेता नरेश मीणा ने बड़ा हंगामा किया। मीना ने समरवता गांव में एक मतदान केंद्र में घुसने की कोशिश की, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। जवाब में, उन्होंने उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को थप्पड़ मार दिया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। एसडीएम पर हमला करने की संभावित सज़ा का एक सिंहावलोकन यहाँ दिया गया है।

लोक सेवक पर हमला करने के कानूनी परिणाम: नरेश मीणा ने ड्यूटी पर मौजूद लोक सेवक पर हमला किया, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 132 के तहत दंडनीय है। इस धारा में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति ड्यूटी पर मौजूद लोक सेवक पर हमला करता है, तो उसे सज़ा हो सकती है। इसके अलावा, अगर कोई लोक सेवक को उसके कर्तव्यों के पालन में बाधा डालने की कोशिश करता है, तो उसे भी कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। धारा 132 के तहत, अपराधी को दो साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह अपराध आईपीसी की धारा 195(1) के अंतर्गत आता है, जिसके तहत दोषी को तीन साल तक की जेल या 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

घटना सारांश: एसडीएम पर हमले के बाद नरेश मीणा मौके से भाग गया। पुलिस ने उसे उसी रात गिरफ्तार कर लिया, लेकिन वह अपने समर्थकों की मदद से भागने में सफल रहा। गुरुवार की सुबह वह फिर से सामने आया और आरोप लगाया कि एसडीएम फर्जी मतदान की अनुमति दे रहा था। पुलिस ने आखिरकार मीणा को फिर से गिरफ्तार कर लिया और इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा तैनात कर दी गई। जब अधिकारी उसे गिरफ्तार करने पहुंचे, तो उसके समर्थकों ने उन पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। जवाब में, मीणा के समर्थक और अधिक उत्तेजित हो गए, जिसके चलते पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है और उपद्रव में शामिल 60 लोगों को हिरासत में लिया है।

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