बात 1977 की है. पूरे देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल बना हुआ था.इसी जबरदस्त सत्ता विरोधी जहर के बीच इंदिरा गांधी ने 5 फरवरी, 1977 को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली के जरिए अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी.

लेकिन इंदिरा गांधी से नाराजगी के चलते लोग उनकों की रैली में कम ही जाते थे. आयोजकों ने भीड़ जमा करने के लिए भारी दवाब रहता था. इसलिए जिस दिन इंदिरा गांधी की रैली थी उस दिन स्कूल अध्यापकों, दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों और मजदूरों को बसों में भर भर कर रामलीला मैदान पहुंचाया गया था.


इंदिरा गांधी से लोगों के मोह भंग का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब वे बोल रही थी तों, बीच भाषण में सामने बैठी कुछ औरतें उठ कर जाने लगी थी. सेवा दल के कार्यकर्ता उन्हें दोबारा बैठाने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहे थे.

भीड़ आपस में इतनी बात कर रही थी कि इंदिरा गांधी को अचानक अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा.


इंदिरा गांधी की रैली के एक दिन बाद यानी 6 फरवरी को जयप्रकाश नारायण यानी जेपी भी दिल्ली पहुंच गए थे और ये तय हुआ कि जनता पार्टी भी रामलीला मैदान पर चुनाव रैली करेगी.

लेकिन इंदिरा गांधी की रैली से अधिक लोग जेपी और जगजीवन राम की रैली में नहीं पहुंचे इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल ने भीड़ को घर पर रखने का एक नायाब तरीका निकाला था.

इंदिरा गांधी की रैली

उस जमाने में दूरदर्शन चार बजे एक फिल्म दिखाया करता था. ज्यादा से ज्यादा लोग घर से बाहर न निकलें, ये सुनिश्चित करने के लिए फिल्म का समय पांच बजे कर दिया गया. क्योंकि रैली का समय भी पांच बजे का ही था.

आम तौर से दूरदर्शन पर पुरानी फिल्में ही दिखाई जाती थीं लेकिन उस दिन तीन साल पुरानी लॉकबस्टर बॉबी फिल्म दिखाने का फैसला किया गया.

इतना ही रामलीला मैदान में लोग न पहुंच सके इसके लिए बसों को रामलीला मैदान के आसपास भी फटकने नहीं दिया गया और लोगों को सभास्थल तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर तक चलना पड़ा.

रैली के आयोजक इस बात से परेशान थे कि इस रैली की तुलना इंदिरा गांधी की रैली से की जाएगी और लोग कहेंगे कि इसमें उस रैली से कम लोग पहुंचे हैं. इसका मतलब विपक्ष की दलीलों में कोई दम नहीं है.

लेकिन जेपी और जगजीवन राम बॉबी फिल्म पर भारी पड़े. हजारों लोग लंबी दूरी का रास्ता तय करते हुए रामलीला मैदान पहुंचे.

पांच बजते बजते न सिर्फ रामलीला मैदान पूरा भर चुका था बल्कि बगल के आसफ अली रोड और जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर भी लोगों का समुद्र दिखाई दे रहा था.

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