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शनिवार (27 अक्टूबर) को भारतीय राजनीति के एक और महान चेहरे का निधन को गया। हम बात कर रहे है दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल मदनलाल खुराना की। उन्होंने शनिवार की रात करीब 11 बजे 82 की उम्र में अंतिम साँस ली। आपको बता दें, मदनलाल खुराना का जन्म पाकिस्तान के लैयलपुर (अब फैसलाबाद) में हुआ था, लेकिन बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान से दिल्ली आ गया था। वे दिल्ली में एक शरणार्थी शिविर में रहे थे और उसके बाद वो धीरे-धीरे वो भारतीय नागरिक बन गए।

फिर वो दिल्ली में ही पढ़े लिखे और राजनीति में आये। राजनीति में आने से पहले वे पहाड़गंज के लड्डूघाटी इलाके के नगर निगम स्कूल में अध्यापक भी थे। वे स्कूल के बाद संघ और जनसंघ के कामों में लग जाते थे। लेकिन वो चर्चा में जब आये तब साल 1977 में इमरजेंसी हटा ली गई थी। उस समय खुराना को भी जेल जाना पड़ा था। वे उन दिनों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की रामलीला मैदान से लेकर बोट क्लब में होने वाली बड़ी सभाओं की व्यवस्था करते थे। बता दें, दिल्ली की पंजाबी और वैश्य बिरादरी में उनकी कमाल की पकड़ थी। ये ही दोनों वर्ग जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े समर्थक थे।

आपको बता दें, पंजाब में चरमपंथ के दौर में जब भी कोई बड़ी घटना होती तो वो दिल्ली बंद का आह्वान कर देते थे और कभी उनका बंद असफल नहीं रहा। उस समय खुराना के हाथों में दिल्ली के कारोबारी, समाज और बनिये थे। खुराना की एक आवाज़ पर वे अपनी दूकानें-बाज़ार बंद कर देते थे और फिर एक दिन ऐसा आया जब उनके हाथो में पूरी दिल्ली थी। खुराना 1993 से 1996 के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे और 2004 में राजस्थान के राज्यपाल भी बने।

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