भारत के कई राज्यों में लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव एक साथ होने हैं, ऐसे में देश की सभी राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता चुनावी तैयारियों में जुट चुके हैं। सच है कि इन चुनावों के दौरान ही पार्टी नेताओं की असली प्रतिभा पहचानी जाती है। चुनाव परिणाम और जनता के रूझान के आधार पर नेताओं की नेतृत्व क्षमता आंकी जाती है। इस स्टोरी में आज हम आपको देश के कुछ ऐसे युवाओं नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं।

1- वरुण गांधी
जनलोकपाल विधेयक का समर्थन करने वालों में अन्ना हजारे के साथ वरूण गांधी का नाम भी शामिल है। भगवा राजनीति की बदौलत अपार जनसमर्थन हासिल करने तथा साल 2009 में पीलीभीत की एक जनसभा में वरुण की ओर से हाथ काटने वाला बयान काफी विवादों में रहा। इस घटना के बाद से बीजेपी में वरुण गांधी का राजनीतिक पद काफी बढ़ गया। वरुण गांधी को भाजपा में महासचिव तथा बंगाल का प्रभारी तक बनाया जा चुका है। यूपी विधानसभा के दौरान उनके मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी उठी थी।

2- राहुल गांधी
भारतीय राजनीति में राहुल गांधी का काफी समय तक माखौल उड़ाया जाता रहा, लेकिन लंबे समय बाद उन्होंने साबित कर दिया है कि उन्हें कमतर आंकना इतना आसान नहीं है। राहुल गांधी ने कांग्रेस की जमीन ताकत बढ़ाने में कुछ हद तक सफलता पाई है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बढ़े जनाधार तथा लोकसभा चुनाव-2019 में उनकी जबरदस्त धमक से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी भी देश के चर्चित युवा नेताओं में से एक हैं। खटिया पर रात बिताना, भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर आंदोलन करना, दलितों के घर खाना खाना राहुल की ओर जनता से जुड़ने के अलग तरीके रहे। हांलाकि विरोधी दल इसे केवल ढोंग करार देते रहे जबकि वह युवाओं से जुड़ते गए। अब कांग्रेस के नेता उन्हें देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगे हैं।

3- राज ठाकरे
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के साथ रहकर राजनीति के दांव-पेंच सीख चुके राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग महाराष्ट्र नव निर्माण सेना बनाई और मराठी मानुष के नाम पर क्षेत्रीय राजनीति को बढ़ावा देने का काम किया। उत्तर भारतीयों तथा मीडिया हाऊस पर कई बार कहर बरपा चुके राज ठाकरे 2008 में उत्तर भारत के लोगों के खिलाफ हिंसक आंदोलन चला चुके हैं।

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने बहुत कम समय में ही शिवसेना को कड़ी चुनौती देनी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र बचाओ अभियान में राज ठाकरे को राज्य के युवाओं का खासा समर्थन प्राप्त हो चुका है। केवल मराठी लोगों को रोजगार और मराठी भाषा के इस्तेमाल जैसे उग्र मुद्दों के चलते राज ठाकरे सियासी गलियारे में हमेशा विवाद के घेरे में रहते हैं।

4- सचिन पायलट
26 साल की उम्र में दौसा लोकसभा सीट से सांसद बनने वाले सचिन पायलट को राजनीति विरासत में ही मिली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट वर्तमान में राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस ने जब भी युवा कार्ड खेला उसमें सचिन पायलट को प्रमुखता दी गई। यूपीए सरकार में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री रह चुके सचिन पायलट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।

5- अखिलेश यादव
कन्नौज लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद रहे चुके ​अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर चुके अखिलेश यादव वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। समाजवादी पार्टी पर वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश यादव ने कामयाबी हासिल की है। लोकसभा चुनाव-2019 में सपा-बसपा गठबंधन के दौरान उनकी भूमिका अहम साबित हो सकती है।

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