मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। दोस्तों, आपको बता दें कि मोदी कार्यकाल में देश में कई बड़े संवेदनशील मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए, जिनमें अधिकांश मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। संभव है इनका फैसला कभी भी आ सकता है। इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि 8 बड़े मुद्दों पर मुख्‍य न्‍यायाधीश को ही फैसला देना है।

1- अयोध्या में राम मंदिर विवाद

कोर्ट में चल रहे अयोध्या केस को लेकर संवैधानिक बेंच भेजा जाय या नहीं, इस बारे में 28 सितंबर को फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट यह फैसला सुना सकता है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का आंतरिक हिस्सा है या नहीं। बता दें कि अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस विवादित जमीन पर मंदिर बनेगा अथवा मस्जिद इसकी सुनवाई अभी की जानी है।

2- आधार कार्ड अनिवार्यता

38 दिनों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आधार अनिवार्यता का फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह भी फैसला आ सकता है कि आधार के लिए लिया जाने वाला डाटा निजता का उल्लंघन है या नहीं? फैसले के चलते ही जनता के लिए सरकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई है।

3- एससी-एसटी पदोन्नति में आरक्षण

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अक्टूबर के पहले हफ्ते में रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला जल्द ही आ सकता है।

4- कोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में यह तय करेगा कि कोर्ट कार्यवाही रिकॉर्डिंग और सीधा प्रसारण होना चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी।

5- दागी उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक

सुप्रीम कोर्ट अब तय करेगा कि जिन नेताओं के खिलाफ गंभीर मामलों में आरोप तय हो चुके हैं, उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए अथवा नहीं। पांच जजों के संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से यह पूछा था कि क्या चुनाव आयोग को यह शक्ति दी जानी चाहिए कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न देने से इनकार कर दे ?

6- नेताओं की बतौर वकील प्रैक्टिस

देश के कई बड़े नेता किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य भी हैं और जरूरत पड़ने पर बतौर वकील प्रैक्टिस करने कोर्ट भी पहुंच जाते हैं। इस बारे में फैसला इसी महीने आने वाला है कि ऐसे नेताओं को बतौर वकील प्रैक्टिस करने की अनुमति देनी चाहिए अथवा नहीं।

7- व्याभिचार का मामला

कोर्ट ने कहा ​है कि कोई विवाहित महिला अगर किसी विवाहित पुरूष से संबंध बनाती है तो इसमें सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों? इस मामले में महिला भी अपराध की जिम्मेदार है। बता दें कि इस मामले में धारा-497 के तहत सिर्फ पुरुष को ही दोषी माना जाता है। यह नियम भेदभाव वाला है या नहीं, इस पर फैसला आएगा।

8- केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं की एंट्री

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ संविधान पीठ ने अगस्त महीने में ही फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मंदिर हर वर्ग के लिए है किसी खास के लिए नहीं है। इस प्रकार सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लगी उम्र संबंधी पाबंदी हट सकती है।

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