लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए सपा-बसपा ने गठबंधन का ऐलान करते हुए 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, जबकि गठबंधन में शामिल आरएलडी को 5 सीटों की जगह 3 सीटें दी गई। आरएलडी यानि राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी यूपी की मथुरा, मुजफ्फरनगर और बागपत सीट मिली हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को मात देने के लिए बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल के बीच हुए महागठबंधन से इन पार्टियों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उत्साहित हैं।

आपको याद दिला दें कि सपा-बसपा गठबंधन के ऐलान के वक्त कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीट दी थी। सपा-बसपा गठबंधन में यह ऐलान किया गया था कि अमेठी और रायबरेली में गठबंधन अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगा।
लेकिन जब कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी सौंपते हुए महासचिव नियुक्त किया है। इसके बाद से जहां एक तरफ बसपा-सपा का भी रुख नरम हुआ है, वहीं कांग्रेस पार्टी के तेवर भी कुछ ढीले हुए हैं।

सूत्रों की मानें तो सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस को 11 सीटों का ऑफर दिया है, जबकि कांग्रेस 17 सीटें मांग रही है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी 15 सीटों पर ही मान जाएगी। बता दें कि हाल के दिनों में सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं करने के प्रश्न पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि बीजेपी की तरह ही कांग्रेस की नीतियां भी भ्रष्ट हैं। इन दोनों पार्टियों के शासनकाल में भ्रष्टाचार हुए। ऐसे में कांग्रेस के साथ जाने पर बसपा को वोट शेयर में नुकसान होता है।

गौरतलब है कि अब सपा-बसपा गठबंधन ने जिस तरीके से कांग्रेस को अपने साथ लाने पर विचार कर रही है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की वजह इन दोनों पार्टियों को अपने परंपरागत वोट दलित और मुसलमानों के खिसकने का डर सता रहा था। संभव था कि गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं करने का सीधा भाजपा को ही होता। शायद इसीलिए सपा-बसपा गठबंधन का तेवर कांग्रेस के प्रति कुछ नरम हुआ है।

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