संसद में एक बार फिर से गर्म माहौल देखने को मिल सकता है। खबर ऐसी है कि केन्द्र सरकार के मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक में मोदी-शाह की जोड़ी नागरिकता संशोधन बिल पर मुहर लगवा सकती है। इसके बाद इस बिल को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। हालाँकि इस बिल को लेकर न सिर्फ संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा होने के आसार हैं।

भाजपा इस विधेयक को भी अनुच्छेद 370 हटाने जितना ही महत्वपूर्ण मान रही है। विपक्ष द्वारा इस बिल का इस आधार पर विरोध किया जा रहा है कि इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है।

नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें भारत के तीन पड़ौसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से विभिन्न धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है। बात ऐसी है की अब तक भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल से भारत रहना अनिवार्य है। विधेयक में संशोधन कर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया जा सकता है।

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