मोदी कैबिनेट की मंजूरी अब नागरिकता संशोधन बिल को मिल गई है। अब संसद के सदन में ही ये बिल पेश किया जा सकता है और विपक्ष द्वारा भी इस बिल को कड़ा विरोध मिलने की संभावना है।

लेकिन शिवसेना इस फैसले पर मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है। जहाँ एक ओर कांग्रेस और एनसीपी को इस फैसले से ऐतराज है और इसका विरोध कर रहे हैं वही शिवसेना का मोदी के इस फैसले का आदर करना सोनिया गांधी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

गौरतलब है कि हाल में ही में महाराष्ट्र में कांग्रेस व एनसीपी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाई है और अब इन पार्टियों के बीच किसी मुद्दे को लेकर एकजुटता दिखाई नहीं दे रही है।

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नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि हमारा रुख हमेशा घुसपैठियों के खिलाफ रहा है। मुंबई में हमने अवैध बांग्लादेशियों का सामना किया। हर राज्य की विधेयक के बारे में अलग-अलग राय है, दूसरों की राय भी लेनी चाहिए। असम में भाजपा के मुख्यमंत्री भी इसका विरोध कर रहे हैं। मैं किसी भी धर्म के बारे में चिंतित नहीं हूं। मुझे पता है कि मुंबई में क्या हो रहा है। हम देखेंगे कि यह बिल कब सदन में आएगा।


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नागरिकता (संशोधन) विधेयक या सीएबी, जो भारत के नागरिक बनने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए इसे आसान बनाना चाहता है। संशोधन के बाद इस बिल के अनुसार छह साल गुजारने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई) के लोगों को बिना उचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। इस बिल को जनवरी में लोकसभा ने पारित कर दिया था, लेकिन राज्यसभा में मंजूरी नहीं मिलने से यह चूक गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भाजपा सांसदों से कहा कि यह विधेयक सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, जितना महत्वपूर्ण जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने का अनुच्छेद 370 है उतना ही महत्वपूर्ण ये भी है। इसे नागरिकता संशोधन बिल 2016 नाम दिया गया है।

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