किसी इंसान की किस्मत कब चमक उठे, यह बात कोई नहीं जानता है। लेकिन उस इंसान की कड़ी मेहनत, लक्ष्य के प्रति के दृढ़ विश्वास भी अहम मायने रखता है, इस अटल सत्य है। इसी क्रम में आज हम बात करने जा रहे हैं, भारतीय राजनीति के माहिर खिलाड़ी राजेश पायलट के बारे में, जिनके बेटे सचिन पायलट मौजूदा समय में राजस्थान के उप मुख्यमंत्री तथा पीडब्ल्यूडी एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं।

राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट ने उनकी जीवनी राजेश पायलट-अ बायोग्राफ़ी में कई महत्वपूर्ण बातों का खुलासा किया है। आज से वर्षों पहले दिल्ली के पॉश 112, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड एक कोठी के आउट हाउज में एक दस वर्षीय लड़का अपने चाचा नत्थी सिंह के साथ रहता था। गर्मी, जाड़ा हो या बरसात हर मौसम में वह सुबह 4 बजे उठता तथा डेरी के मवेशियों को चारा खिलाता। उनका गोबर साफ करता, दूध दूहता इसके बाद दिल्ली के वीआईपी इलाके की कोठियों में दूध पहुंचाता।

कभी-कभी वह ठंड से बचने के लिए भैंसों की बग़ल में उनसे चिपक कर सो भी जाता था। जी हां, उसके लड़के का नाम राजेश्वर प्रसाद बिधूरी था, जो बाद में राजेश पायलट के नाम से मशहूर हुआ। राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट के मुताबिक, दिल्ली की उन कोठियों में जब माली घास काटते थे, तब राजेश भैंसों के लिए बोरी में भर भरकर घास भी लाया करते थे।

यह बात उन दिनों की है, जब राजेश पायलट कांग्रेस सरकार में मंत्री बन चुके थे। इस घटना को रमा पायलट कुछ इस प्रकार से व्यक्त करती हैं- एक दिन हमारी कोठी में कुछ माली घास काटकर उन्हें बोरियों में दबा दबाकर भर रहे थे, तभी उन्होंने अपने पति राजेश से कहा कि देखों इन्हें कितना लालच आ रहा है। तब राजेश बोले- मैं भी जब कभी इन कोठियों में दूध देने आता था, ऐसे ही किया करता था। मैं तो कभी बोरी पर सीधा खड़ा हो जाता था, ताकि बोरी नीचे दब जाए और ज्यादा से ज्यादा घास आ सके।

कभी सरकारी कोठी के पीछे के क्वार्टर में रहने वाले राजेश के घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हुआ करती थी। बावजूद इसके राजेश पायलट बचपन से ही वायुसेनाध्यक्ष बनने के ख़्वाब देखा करते थे। राजेश पायलट के मित्र रमेश कौल के मुताबिक, एयरफोर्स में भर्ती होने के बाद एक बार उनके ट्रेनिंग सेंटर पर वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ़ मार्शल अर्जन सिंह आए।

वह हम लोगों के सीने और कंधों पर विंग्स और स्ट्राइप्स लगा रहे थे। इस दौरान राजेश पायलट ने कहा कि देख लेना एक दिन मैं इस पद पर पहुंचूगा और मैं भी इनकी तरह विंग्स और स्ट्राइप्स लगाउंगा। राजेश पायलट ने 1971 के युद्ध में भी शिरकत की थी। इसके बाद उन्होंने जो सियासी मुकाम हासिल किए, इस बारे में सभी जानते हैं। महज 55 वर्ष की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में राजेश पायलट का निधन हो गया।

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