इंडियन आर्मी के कर्नल मनीष ओझा के मुताबि​क, पिनाक मिसाइल सिस्टम का पहला वर्जन सेना के पास 1994 से ही मौजूद है। इस मिसाइल सिस्टम ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। कारगिल की चोटियों पर बैठे दुश्मनों को इंडियन आर्मी ने इसी मिसाइल सिस्टम के जरिए निशाना बनाया था। बता दें कि कारगिल युद्ध के समय पिनाक मिसाइल सिस्टम की मारक क्षमता महज 40 किमी थी।

लेकिन मौजूदा समय में पिनाक की ताकत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। पिनाक मिसाइल को अपग्रेड कर इसका दूसरा वर्जन सेना में शामिल किया जा चुका है। पिनाक मिसाइल की मारक क्षमता अब 60 किमी तक हो चुकी है। यह ताकतवर मिसाइल महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम है। पिनाक मिसाइल प्रणाली से किसी भी मौसम में लक्ष्य को सटीक तरीके से भेदा जा सकता है।

पिनाक मार्क-1 रॉकेट को नैविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल किट से जोड़कर गाइडेड पिनाक में बदल दिया गया है और इसे मार्क-2 कहा गया है। इससे पिनाक की रेंज और सटीकता बढ़ी है।

लॉ इंटेसिटी वाले संघर्षों में यह रॉकेट प्रणाली तुरंत जवाबी हमला करने में सक्षम है। पिनाका की मिसाइलें दागने की रफ्तार काफी ज्यादा है और इसमें एंटी राडार सिस्टम लगा है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इसे मल्टिबैरल रॉकेट लॉन्चर से छोड़ा गया। पिनका खास तौर से दुश्मन के बंकरों को निशाना बनाने में इससे कामयाबी मिलती है।

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