दोस्तों, आज हम आपको भारतीय सेना की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार जीतने वाली जाट रेजिमेंट के बारे में बताने जा रहे हैं। जाट रेजिमेंट इंडियन आर्मी के लिए खास क्यों है, इस बारे में पाकिस्तान के सेवानिवृत्त मेजर जनरल फैज़ल मुकीम खान अपनी किताब पाकिस्तान क्राइसिस इन कमांड में लिख चुके हैं।

इस पुस्तक में फैज़ल मुकीम खान लिखते हैं कि यह बात 3 दिसंबर 1971 की है, जब पाकिस्तान की सेना ने अपनी पूरी इन्फैंट्री ब्रिगेड के साथ भारतीय सेना पर हुसैनीवाला के पास हमला किया और कुछ ही क्षणों में हमने भारतीय सेना के पांव उखाड़ दिए।

कुछ ही घंटों में इंडियन आर्मी की अधिकांश महत्वपूर्ण सुरक्षा चौकियां हमारे कब्ज़े में आ चुकी थीं। पाक की सेना बहुत जल्द ही सेना कैसर-ए-हिंद पोस्ट के समीप जा पहुंची थी, लेकिन वहां मौजूद भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट की एक छोटी सी टुकड़ी लोहे की दीवार बनकर खड़ी हो गई थी।

मुकीम खान आगे लिखते हैं कि जाट रेजिमेंट के वह जवान पाकिस्तानी सेना पर भूखे शेरों की तरह और बाज़ से भी ज्यादा तेजी से आक्रमण कर दिया। इस लड़ाई में जाट रेजिमेंट के वीर सैनिक इतनी बहादुरी और जोश से लड़े कि पाकिस्तानी सेना की सभी इच्छाएं, महत्वाकांक्षाएं और आशाएं धूमिल हो गई। जाट रेजिमेंट की इस छोटी सी टुकड़ी से पाकिस्तान जंग हार गया। आइए जानें, जाट रेजिमेंट के बारे में।

- जाट रेजिमेंट का युद्धघोष है, जाट बलवान, जय भगवान।

- जाट रेजिमेंट में तकरीबन 96 प्रतिशत जाट हैं, जबकि एक बटालियन में जाटों के अलावा अहीर, गुर्जर और राजपूतों को शामिल किया गया है।

- जाट रेजिमेंट इंडियन आर्मी की एक मात्र रेजिमेंट है, जिसे रॉयल का खिताब मिल चुका है।

- आजादी से पहले ही यह रेजिमेंट 41 युद्ध सम्मान प्राप्त कर चुकी थी।

- कारगिल की लड़ाई में भी जाट रेजिमेंट की पांच बटालियनों ने अग्रिम मोर्चे पर जंग लड़ी थी।

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