मोदी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के विरोध में देशभर के करीब 35 क्षत्रिय संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है। मोदी सरकार के विरूद्ध सवर्णों की नाराजगी से भाजपा बेचैन है। इतना ही भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। इस पार्टी का कहना है कि एससी-एसटी एक्ट सवर्णों के विरूद्ध नहीं है।

वहीं कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियां बीजेपी के मूल वोटबैंक पर नजर जमाए हुए हैं। सवर्णों के प्रदर्शन पर लोकजन शक्ति पा​र्टी के मुखिया रामविलास पासवान का कहना है कि आखिर मायावती, अखिलेश और कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं ?

जबकि सवर्णों के भारत बंद पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बयान दिया है कि सवर्णों को भी शांतिपूर्ण तरीके से अपना हक मांगने का पूरा अधिकार है। देश के लोगों में मोदी सरकार के विरूद्ध आक्रोश और चिंता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, शांतिपूर्ण तरीके से अधिकार मांगना चाहिए। मतलब साफ है, कांग्रेस का बयान ना ही सवर्णों के पक्ष में है अथवा ना ही विपक्ष में। यह पार्टी भाजपा के परंपरागत वोट में सेंध मारना चाहती है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता से अपील की है कि राज्य के हर नागरिक के लिए मेरे दिल का द्वार खुला है। उन्होंने जनता से प्रार्थना की है कि शांति बनाए रखें। वहीं एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद सवर्णों के प्रदर्शन को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को कैबिनेट मंत्रियों तथा कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ बैठकर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक में सवर्णों की नाराजगी दूर करने पर मंथन किया गया।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलितों की नाराजगी दूर करने के लिए मानसून सत्र में बिल पास कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। बता दें कि दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया था, प्रदर्शन के दौरान करीब एक दर्जन लोगों की मौत हुई थी।

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