मिशन-2019 विजय के लिए यूपी नहीं, इन पांच जगहों पर है बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की पैनी नजर
भारतीय जनता पार्टी की पैनी नजर अब लोकसभा चुनाव-2019 फतह करने पर है। यूपी की जीत अब पुरानी हो चुकी है। इतना ही नहीं सपा-बसपा गठबंधन के इतिहास से सावधान बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल ली है। दोस्तोंं, आपको याद दिला दें कि 2014 के मोदी लहर में भी दक्षिण भारत, पूर्वी भारत तथा पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी का सिक्का नहीं जम पाया था। इस बार बीजपी ने नई रणनीति बना रखी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने कार्यकर्ताओं से सभी सीटें फतह करने की बात करते नजर आ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एबार बंगला का नारा दिया है। बीजेपी की इस मुहिम से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस बौखलाई हुई है। बता दें कि बंगाल में बीजेपी ने वोट पाने के लिए ममता बनर्जी को एंटी हिंदू छवि देने की पुरजोर कोशिश की है। हांलाकि ममता बनर्जी के सामने बीजेपी को बंगाल में अभी तक कोई मशहूर चेहरा नहीं मिला है।
उड़ीसा
उड़ीसा से बीजेपी के एकमात्र सांसद धर्मेंद्र प्रधान हैं। उन्होंने मोदी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर का पद मिला हुआ है। उड़ीसा से बीजेपी को काफी संभावनाएं हैं। मार्च में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी को यहां से 297 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस के खाते महज 60 सीटें ही आईं। हांलाकि बीजू जनता दल को 473 सीटें मिली जोकि बीजेपी से बहुत ज्यादा है।
नवीन पटनायक और नरेंद्र मोदी
दक्षिण भारतीय सांसद धर्मेंद्र प्रधान को बीजेपी ने कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी लेकिन वह किसी भी विधानसभा या लोकसभा में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। ऐसे में अब यह कमान नरेंद्र मोदी ने खुद अपने हाथों में ले रखी है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु पर बीजेपी ने अपनी तीखी निगाहें जमा रखी हैं। जयललिता का निधन हो चुका है। अन्नाद्रमुक की स्थिति कमजोर हो चुकी है। बीजेपी इस राज्य में 60 फीसदी आबादी वाली दलित जाति अरुंधतियार पर कुछ ज्यादा फोकस कर रही है। हांलाकि तमिलनाडु में बीजेपी का सेंध लगाना थोड़ा मुश्किल है, पर बीजेपी ने दक्षिण भारत में गठबंधन का रास्ता खुला रखा है।
केरल
केरल में अल्पसंख्यकों की काफी संख्या है। यहां 26.6 फीसदी मुस्लिम और 18.4 फीसदी ईसाई हैं, जो कि किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसलिए भाजपा ईसाई मतों को अपने साथ लाने के लिए पुरजोर कोशिश करती दिख रही है। हांलाकि मुस्लिम मतों को लेकर बीजेपी का विश्वास थोड़ा कम है। देखा जाए तो केवल हिंदुत्व के मुद्दे पर केरल में जीत हासिल करना बीजेपी के लिए थोड़ी टेड़ी खीर है।
पूर्वोत्तर
बीजेपी ने पूर्वोत्तर पर काफी फोकस कर रखा है। असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भाजपा की सरकार है। इसलिए पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी पकड़ बनाने के लिए बीजेपी ने गठबंधन का रास्ता अख्तियार कर रखा है। इस क्षेत्र में भाजपा लगातार विकास करने की कोशिश में जुटी हुई है।