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दोस्तों, आपको बता दें कि भारतीय सेना में एक से बढ़कर एक रणबांकुरे पैदा हुए। इन्हीं में से एक का नाम है ले.जनरल हनूत सिंह। भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट पद से भर्ती हुए हनूत सिंह को संत जनरल कहकर पुकारा गया। परम विशिष्ट सेवा मैडल और महावीर चक्र से सम्मानित हनूत सिंह ने राजस्थान के बाड़मेर जसोल में कर्नल अर्जुन सिंह के घर जन्म लिया था।

दोस्तों, बता दें कि जनरल वीके सिंह ने अपनी पुस्तक लीडरशिप इन द इंडियन आर्मी: बायोग्राफी आफ टवेल्व सोल्जर्स में लें. जनरल हनूत सिंह को भारतीय सेना के 12 सर्वश्रेष्ठ जनरलों में शामिल किया है।

16 दिसंबर 1971 को ले. जनरल हनूत सिंह की यूनिट ने पाकिस्तानी टैंकों के हमले के बीच नदी पार करते हुए एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में एंट्री कर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। इस युद्ध में हनूत सिंह की टीम ने 48 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया था। लें. जनरल हनूत सिंह का नाम भारतीय सेना के महान रणनीतिकारों में शुमार किया जाता है।

अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इंडियन आर्मी में हनूत सिंह की कितनी धाक थी। यह किस्सा 1987 का है, जब एक दिन जनरल हनूत सिंह का फोन घनघना उठा। उनके एक सिपाही ने आकर उन्हें सूचना दी कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी का फोन है। यह सुनकर उन्होंने अपने सिपाही से कहा कि उनसे कह दो कि पूजा करने के बाद उनसे बात कर लूंगा।

गौरतलब है कि हनूत सिंह आजीवन बाल ब्रहमचारी रहे। 1991 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद सांसारिक जीवन से संन्यास लेकर उन्होंने शिवबाला योगी आश्रम स्थापित किया, इसके बाद वह साधना में लीन हो गए। साल में केवल दो महीने के लिए वह जोधपुर के बालासती आश्रम में आते थे, लेकिन परिजनों से ज्यादा बातचीत नहीं करते थे।

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