झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन पर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समन के बाद जो भी कहा है वह उनके डर, अहम और अहंकार को दर्शाता है। ऐसे ही कभी लालू यादव बिहार में किया करते थे। उनका क्या नतीजा हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है। जब कोई गलत काम नहीं किया है, तो हेमंत सोरेन को डर किस बात का है। एक तरफ वो संवैधानिक संस्था ईडी को सार्वजनिक रूप से धमका रहे हैं, दूसरी तरफ वो उसी संस्था से तीन सप्ताह का समय भी मांग रहे हैं।

संवैधानिक संस्थाओं को धमकाते हैं भ्रष्ट नेता

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे नेताओं पर कानून का शिकंजा कसता है, तब वो संवैधानिक संस्थाओं को धमकाने का काम करते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भूल रहे हैं कि हमारे देश में लोकतंत्र है, राजतंत्र नहीं। कानून को कानून की तरह काम करने देना चाहिए। बेहतर तो यही होता कि मुख्यमंत्री ईडी को धमकाने के बजाय उसके सामने जाकर अपना पक्ष रखते। इसी तरह नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस पार्टी हो हल्ला मचा रही थी। आखिरकार सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कानून के सामने जाना ही पड़ा।

आम आदिवासी को आज भी कोई लाभ नहीं मिला

हेमंत सोरेन को अपना यह आक्रोश आदिवासी बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न पर दिखाना चाहिए। तब वो मौन रहते हैं। खुद को भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होने पर उन्हें आदिवासी समाज याद आता है। आदिवासी समाज का उत्थान विकास से होगा, न कि हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार से। भ्रष्टाचार से सोरेन परिवार का तो उत्थान हो सकता है, लेकिन आम आदिवासी को इससे कोई लाभ नहीं मिलनेवाला है।

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