आपको याद दिला दें कि साल 2002 में भारत के तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने तमाम भारतीय सुरक्षा प्रमुखों को लेकर इजराइल का दौरा किया था। उस वक्त इजराइल के चरमपंथ विरोधी विशेषज्ञ रेवेन पेज़ ने बयान दिया था कि ऐसे तमाम देश जो कभी फ़लीस्तीनी फ्रीडम फाइटर्स के खिलाफ इजराइल की कार्रवाई की निंदा किया करते थे, अब वही देश अपने देशों में पनप रहे तथाकथित फ्रीडम फाइटर्स से निपटने के तरीके इजराइल से सीख रहे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी की इजराइल यात्रा से भारत की उम्मीदें परवान चढ़ी हैं। पीएम मोदी की यात्रा के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी भारत का दौरा किया। परिणामस्वरूप इन दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते भी हुए।

बता दें कि साल 2014 से ही कश्मीर में भारत सरकार ने वहीं नीति अपना रखी है, जो इजराइल ने फ़लिस्तीन में मौज़ूद आज़ादी के समर्थकों के ख़िलाफ़ अपनाई थी। मई 2017 में राम माधव ने यह बयान दिया था कि जम्मू कश्मीर में मौजूद हर एक चरमपंथी का खात्मा कर देंगे। उन्होंने इजराइल की तर्ज पर ही दंडात्मक हमलों की बात कही थी।


गौरतलब है कि कश्मीर में भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बीते दो सालों में 400 से ज्यादा आतंकियों को सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया है। 2014 से लेकर 2018 तक करीब 800 आतंकी मार गिराए गए। हर साल आतंकियों के मरने के आंकड़े में इजाफा हुआ है। इस साल 2018 में अभी तक करीब 300 आतंकी मारे जा चुके हैं। इंडियन आर्मी की ओर से आतंकियों पर कहर बरपाने का सिलसिला जारी है।

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