दोस्तों, बता दें कि इंडियन एयरफोर्स आसमान के जरिए देश की सरहदों की रखवाली करती है। इसी भारतीय वायुसेना के विशेष सैनिकों का नाम है गरुड़ कमांडो। जी हां, चट्टान की ही तरह मजबूत गरुड़ फोर्स के इन प्रशिक्षित कमांडो के बारे में जानकर आप भी उन पर गर्व महसूस करेंगे।

- हिन्दू पौराणिक कथाओं में उल्लेखित गरुड़ के नाम पर भारतीय वायुसेना की इस बेहतरीन स्पेशल फोर्स का नाम गरुड़ फोर्स रखा गया।

- राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से देश के सभी एयरफोर्स स्टेशनों की सुरक्षा का मुख्य उत्तरदायित्व गरुड़ कमांडो का होता है।

- गरुड़ कमांडो को स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, एनएसजी ट्रेनिंग तथा स्पेशल ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद इन कमांडो को आगरा पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया जाता है।

- गरुड़ कमांडो को इंडियन मिलिट्री के काउंटर इन्सरजेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल तथा इंडियन नेवी के डाइविंग स्कूल में भी प्रशिक्षित किया जाता है।

- गरुड़ कमांडो को सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए भी तैयार किया जाता है।

- गरुड़ फोर्स की चयन प्रक्रिया बेहद अलग किस्म की होती है। इनकी भर्ती एयरमैन सिलेक्शन सेंटर्स द्वारा विज्ञापन के जरिए की जाती है। चयन प्रक्रिया में उत्तीर्ण होने पर ही आवेदकों को ट्रेनिंग के लिए आगे भेजा जाता हैै।

- गरुड़ कमांडो को 72 हफ्ते के ट्रेनिंग कोर्स से होकर गुज़रना पड़ता है। तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद ही गरुड़ कमांडो पूरी तरह ऑपरेशनल कमांडो बन पाता है। यह ट्रेनिंग इतनी सख्त होती है कि कई ट्रेनी शुरूआती तीन महीनों में ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ देते हैं।

- गरुड़ कमांडो नाईट विज़न, स्मोक ग्रेनेड, हैंड ग्रेनेड के अलावा असॉल्ट राइफल तथा ऑटोमेटिक पिस्तौल, शार्पशूटर टेवर जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं।

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