वॉशिंगटन पोस्ट में छपे एक लेख के मुताबिक, दुनियाभर में पाकिस्तान इकलौती जगह है, जहां गांधी को संत नहीं माना जाता। ऊंचे पदों पर मौजूद अफसर से लेकर पत्रकार तक सभी गांधी को पांखडी मानते हैं। एक ऐसा शख्स, जो भारत की आजादी के बाद वहां रहने वाले सभी मुसलमानों पर हिंदुओं का राज कायम करना चाहता था।

बेशक पाकिस्तान ने इतिहास की पुस्तकों में महात्मा गांधी को जगह दी है, लेकिन एक हिंदू और हिंदुत्व में गहरी आस्था रखने वाले नेता के तौर पर। पाकिस्तान की किताबों में महात्मा गांधी को हिंदुओं का समर्थक और बंटवारे के लिए जिम्मेदार बताया गया है। इतना ही नहीं गांधी को अल्लाह के कानून की जगह हिंदुओं के कानून वाला देश बनाने का पक्षधर बताया गया है।

पाकिस्तान में इतिहास की पुस्तकों में लिखा गया है कि अंग्रेजों की गुलामी खत्म होने के बाद भारत में मुसलमानों को हिंदुओं का गुलाम बनना पड़ता। इस क्रम में आपको मोहम्मद अली जिन्ना का वह बयान भी पढ़ना चाहिए, जो उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद दिया था। यह बात सभी जानते हैं कि हत्या से ठीक पहले महात्मा गांधी ने देश में मुसलमानों की हिफाजत के सवाल पर ही अन्न-जल का त्याग किया था।

जब भारत और पाकिस्तान की सरकार आजादी का जश्न मना रही थीं, उन दिनों महात्मा गांधी ही एकमात्र नेता थे जो हिंदू-मुस्लिम नफरत खत्म करने के लिए नोआखाली का दौरा कर रहे थे।

महात्मा गांधी की हत्या पर पाकिस्तान के कायदे आजम ने जो कहा था वो इस प्रकार है- गांधी पर हुए कायराना हमले के बारे में जानकर मैं हैरान हूं। इस हमले में उनकी मौत हो गई। हमारे बीच राजनीतिक विचारों को लेकर चाहे जितना विरोध रहा हो, लेकिन यह सच है कि वह हिंदू समुदाय में पैदा होने वाले महानतम शख्सियतों में से एक थे। मैं दुखी हूं और हिंदू समुदाय के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। गांधी की हत्या से भारत को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। अब आप इस बयान से खुद समझ गए होंगे कि महात्मा गांधी को पाकिस्तान में किस नजरिए से देखा जाता है।

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